Thursday, March 28
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अखंड सौभाग्य व्रत हरतालिका तीज का महत्व, पूजा विधि। Hartalika Teej kyu manaya jata hai?

Hartalika Teej is one of the prominent festivals celebrated by women in Northern India and Nepal. Hariyali Teej 2021 is also celebrated in various parts of India such as Punjab, Rajasthan, etc. Hartalika Teej kyu manaya jata hai? Hartalika Teej 2021 kab hai? Hartalika Teej kyu manate hain? Hartalika Vrat puja vidhi.

Hartalika Teej kab hai? Tariyali Teej kyu manate hain?
Hariyali Teej par Bhagwan Shiv aur Maa Parvati ki puja ki jaati hai ()

मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल और बिहार में मनाया जाने वाले हरतालिका तीज त्यौहार को तीजा भी कहते है। यह व्रत भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को हस्त नक्षत्र के दिन होता है। यह व्रत काफी कठिन माना जाता है, कहते है जहां करवाचौथ के दिन चाँद देखकर व्रत तोड़ा जाता है वहीं हरतालिका तीज वाले दिन पूरे दिन निर्जला व्रत रखकर अगले दिन पूजा के पश्चात् यह व्रत तोड़ा जाता है।

हरतालिका तीज का मुहूर्त (Hartalika Teej ka Mahurat)

2021 में हरतालिका तीज 8 सितम्बर, दिन बुधवार को देर रात 2 बजकर 33 मिनट पर होगा और 1 सितम्बर को रात 12 बजकर 18 मिनट पर समाप्त होगा। यह व्रत 9 सितम्बर को ही रखा जाएगा। हरतालिका तीज का इस साल पहला शुभ महूरत सुबह के समय है और दूसरा प्रदोष काल यानी सूर्यास्त के बाद बन रहा है।
सुबह का महूरत : सुबह 6 बजकर 3 मिनट से लेकर सुबह 8 बजकर 33 मिनट तक है।

प्रदोष काल का मुहूर्त: शाम को 6 बजकर 33 मिनट से लेकर रात 8 बजकर 51 मिनट तक है।

हरतालिका तीज क्यों मनाया जाता है? Hartalika teej kyon manaya jata hai?

कहते है इस व्रत को करने वाली सारी स्त्रियाँ पार्वती जी के समान सुखपूर्वक अपने पति के लिए व्रत करके शिवलोक को जाती है। यह व्रत सौभाग्यवती स्त्रियाँ अपने सुहाग की लम्बी उम्र के लिए रखती है और वही कुँअरि लड़किया अच्छा वर पाने के लिए भी यह व्रत रखती है। इस व्रत को सूयम माता पार्वती जी ने शिव शंकर भगवान के लिए रखा था। इस दिन स्त्रियाँ भोर में उठकर नहाकर श्रृंगार करती है और पार्वती जी को सुहाग का सारा सामान अर्पण करती है। स्त्रियां इस दिन पूरी रात भजन कीर्तन करती है और बीच में तीन बार शिव जी की आरती करती है और बाद में शिव पार्वती जी की कथा सुनती है।

Hariyali Teej 2021 Importance and Puja Vidhi (Image: DNA India)

महाराष्ट्र में भी इस व्रत का पालन किया जाता है क्योकि अगले ही दिन गणेश जी की स्थपना होती है और बड़े ही धूम धाम से गणेश चतुर्थी मनाई जाती है। कहते है हरतालिका तीज ऐसा त्यौहार है की इस दिन अगर पूरे विश्वास से कुँअरि लड़किया व्रत करती है और एक सच्चा जीवन साथी मांगती है तो उन्हें मन माँगा वर प्राप्त होता है। इस व्रत को हरतालिका इसलिए कहा जाता है क्योकि पार्वती जी की सखी उन्हें पिता और प्रदेश से हरकर जंगल में ले गयी थी। इसीलिए हरित अर्थात हरण और तालिका अर्थात सखी है। यह व्रत काफी धूम धाम से मनाया जाता है और सारी पूजा विधि करके संपन्न किया जाता है।

हरतालिका तीज पूजा विधि (Hartalika Teej puja vidhi):

  1. हरतालिका तीज में श्रीगणेश, भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है।
  2. सबसे पहले मिट्टी से तीनों की प्रतिमा बनाये और भगवान गणेश को तिलक करके दूर्वा अर्पित करे।
  3. इसके बाद भगवान शिव को फूल, बेलपत्र और शमीपत्री अर्पित करे और माता पार्वती को श्रृंगार का सामान अर्पित करे।
  4. तीनों देवताओं को वस्त्र अर्पित करे और उससे करने के बाद हरतालिका तीज की कथा सुने या सूयम पढ़े।
  5. इसके बाद श्री गणेश की आरती करे और भगवान शिव और माता पार्वती की आरती उतरने के बाद भो लगाए।

हरतालिका तीज का महत्व (Hartalika Teej ka mahatv):

उत्तर प्रदेश और बिहार की सभी सुहागन महिलाएं हरतालिका तीज में काफी गहरी आस्था रखती है , क्युकी कहते है ये व्रत सुहागन महिलाएं अपने पति दरियालु लम्बी उम्र के लिए निर्जला व्रत रखती है। इस व्रत की यह मान्यता है की सुहागन महिलाओं की शिव पार्वती अखंड सौभाग्य का वरदान देते है और साथ ही साथ वही कुवारी लड़कियों को मन चाहे वर की प्राप्ति होती हैं।

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