Ayodhya has been a battleground for BJP and the Indian politics in the past few decades. The Babri Masjid demolition and the Ram Mandir case have shaped the discourse of India’s political economy in multiple ways.
The Ganga Times, Gaya: 28 बरस हो चुके हैं उस दिन के जब कारसेवकों ने 16वीं सदी की बाबरी मस्जिद का विध्वंस (Babri Masjid demolition case) कर दिया था। लगभग एक साल बीत चुके हैं सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले का जिसमें सर्वोच्च अदालत ने राम मंदिर के पक्ष में भूमि का मामला सुलझाया। साथ ही कोर्ट ने सरकार को उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड को मस्जिद बनाने के लिए एक वैकल्पिक पांच एकड़ का भूखंड देने का भी आदेश दिया, जिसे सरकार ने अयोध्या के धन्नीपुर में आवंटित किया था।
आइये जानते हैं बाबरी मस्जिद-राम जन्मभूमि विवाद में कब क्या हुआ। दृष्टि डालते हैं मुद्दे की समयरेखा पर: (A timeline of the Babri Masjid demolition and Ram Mandir issue)
- 1528: मुग़ल सम्राट बाबर के सेनापति मीर बाक़ी द्वारा बाबरी मस्जिद का निर्माण।
(इसके बाद जब तक मुस्लिम शासकों का भारत में दबदबा रहा, किसी हिन्दू संगठनों ने राम लल्ला के मंदिर के लिए कोई खास आवाज़ नहीं उठाई। फिर आते हैं 19वीं सदी के अंत में जब महंत रघुबीर दास ने फैजाबाद की जिला अदालत में याचिका दायर की।) - 1885 में महंत की विवादित ढांचे के बाहर एक मंडप बनाने की अनुमति को कोर्ट ने खारिज कर दी।
- 1949: हिंदू महासभा (Hindu Mahasabha) से जुड़े कुछ कार्यकर्ताओं ने मस्जिद के भीतर श्रीराम लल्ला की मूर्तियां लगा दी, जिसके बाद सरकार ने विवादों को टालने के लिए इस विवादास्पद जगह पर ताला लगा दिया। हिंदू और मुस्लिम दोनों पक्षों ने कोर्ट में केस दायर किया। पुलिस ने फाटकों को बंद कर दिया ताकि कोई अंदर प्रवेश न कर सके।
- 1950: गोपाल शिमला विशारद और परमहंस रामचंद्र दास ने राम लल्ला की मूर्तियों की पूजा जारी रखने के लिए अदालत में मुकदमा दायर किया।
- 1959: निर्मोही अखाड़ा द्वारा इस विवादास्पद जगह को कब्जा करने की मांग।
- 1961: उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने जगह पर अधिकार पाने के लिए मुकदमा दायर किया।
- फरवरी 1986: स्थानीय अदालत ने सरकार को हिंदू उपासकों के लिए बाबरी स्थल खोलने का आदेश दिया।
- अगस्त 1989: इलाहाबाद उच्च न्यायालय (Allahabad High Court) ने विवादित ढांचे की यथास्थिति बरक़रार रखने का आदेश दिया।
- 6 दिसंबर, 1992: बाबरी मस्जिद को कारसेवकों द्वारा ध्वस्त कर दिया गया।
- दिसंबर 1992: बाबरी विध्वंस के मामले (Babri Masjid demolition case) में दो प्राथमिकी दर्ज की गई- एक अज्ञात कारसेवकों के खिलाफ और दूसरा, विध्वंस से पहले कथित रूप से सांप्रदायिक भाषण देने के आरोप में भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और अन्य के खिलाफ।
- अक्टूबर 1993: CBI ने आडवाणी और अन्य पर आरोप लगाते हुए कम्पोजिट चार्जशीट दायर की।
- मई 2001: CBI की विशेष अदालत ने आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती, बाल ठाकरे और अन्य के खिलाफ कार्यवाही को निरस्त कर दिया।
- नवंबर 2004: CBI ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ के सामने तकनीकी आधार पर भाजपा नेताओं के खिलाफ कार्यवाही को रोके जाने के खिलाफ चुनौती दी। कोर्ट ने नोटिस जारी किए।
- मई 2010: उच्च न्यायालय ने यह कह कर याचिका ख़ारिज की कि सीबीआई की संशोधित याचिका में कोई दम नहीं है।
- सितम्बर 2010: इलाहाबाद उच्च न्यायालय (Allahabad High Court) ने 2:1 कि बहुमत से यह फैसला सुनाया कि सुन्नी वक्फ बोर्ड (Sunni Waqf Board), निर्मोही अखाड़ा (Nirmohi Akhada) और राम लल्ला (Ram Lalla Virajman) के बीच विवादित क्षेत्र का बराबरी से विभाजन किया जाये। (फिर कई संगठनों ने इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने का निर्णय लिया।)
- मई 2011: सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या भूमि विवाद पर हाई कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा।
- फरवरी 2011: सीबीआई ने बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले (Babri Masjid demolition case) में उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया।
- मार्च 2017: सुप्रीम कोर्ट ने संकेत दिया कि वह बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले (Babri Masjid demolition case) में भाजपा नेताओं के खिलाफ साजिश के आरोप को फिर से जगाने पर विचार कर सकता है। कोर्ट ने अयोध्या विवाद को सुलझाने के लिए नए सिरे से प्रयास करने का भी सुझाव दिया।
- इसी वर्ष अप्रैल में उच्चतम न्यायालय ने इस मामले के मुकदमे को समयबद्ध तरीके पूरा करने के पक्ष में बात करता है।
- सुप्रीम कोर्ट ने लाल कृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और उमा भारती सहित नेताओं के खिलाफ आपराधिक साजिश के आरोप को पुनर्स्थापित किया। कई वीआईपी और कारसेवकों के खिलाफ लंबित मामलों को इकठ्ठा करता है।
- नवंबर 2019: सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या विवाद पर फैसला सुनते हुए पूरी विवादित जमीन राम लल्ला को आवंटित की, और मस्जिद बनाने के लिए मुसलमान पक्ष को एक वैकल्पिक पांच एकड़ जमीन देने के लिए सरकार को निर्देश दिए।
- अगस्त 2020: पीएम नरेंद्र मोदी ने अयोध्या में राम मंदिर का ‘भूमि पूजन’ किया। इसके बाद एक भव्य राम मंदिर का औपचारिक निर्माण शुरू हुआ। सुप्रीम कोर्ट ने बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले (Babri Masjid demolition case) में मुकदमे को पूरा करने की समय सीमा एक महीने बढ़ा दी।
- 30 सितंबर: विशेष न्यायाधीश एस यादव ने मस्जिद विध्वंस मामले में फैसला सुनाया, सभी आरोपी बरी हो गए।
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