Sunday, December 22
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GRAHAN: 1984 जैसे संवेदनशील मुद्दे की पृष्ठभूमि पर बनी एक प्रभावशाली सीरीज

The Disney Plus Hotstar series GRAHAN starring Pavan Malhotra, Zoya Hussain, Anshuman Pushkar, Wamiqa Gabbi, Teekam Joshi and Sahidur Rahman. Series delivers a great message of peace and also tells us that how the word ‘SIKH’ died in 1984.

एक चाय की टपरी है, वहाँ पाँच-छः लोग बैठ अखबार में आ रही खबरों पर चर्चा कर रहे है।
एक आदमी बोलता है,
“पंजाब का क्या हो रहा है?”
यह सुन दूसरा बोलता है,
“ये तो पंजाब में रोज़ की खबरें है..”
चर्चा बहस में बदलती है और आगे बढ़ती है,
अगला आदमी गुस्से में खड़े होकर बोलता है,
“पंजाब में हमारे लोगो के लिए कोई जगह नहीं, हम धोती टोपी पहनने वाले लोग उन्हें पसंद नहीं, बर्बाद कर के रखा है पंजाब के इन आतंकवादियों ने..”
ये सुन वहाँ बैठे एक सरदार हल्की मुस्कान लाते हुए धीरे से बोलते है,
“जानकारी अच्छी है पर पूरी नहीं, मुद्दे को अगर जानना है तो इतिहास को समझना बहुत ज़रूरी है। अख़बारो में खबरे पढ़ कर राय नहीं बनानी चाहिए।”

ये कोई आज की खबर या बात नहीं , यह दृश्य Disney+ Hotstar पर आज रिलीज़ हुई GRAHAN सीरीज का है और बात 1984 की।

GRAHAN streaming on Disney+Hotstar

गुरुवार यानी 24 जून को disney+ hotstar पर रिलीज हुई GRAHAN सीरीज सत्य व्यास की ‘चौरासी’ नाम के उपन्यास से प्रेरित है। साल 1984 को सुनते ही हमारे दिमाग में इंदिरा गांधी की हत्या और देश में सिख समाज पर हुए हमले और दंगों की तस्वीरें सामने आती है। मगर साल 1984 में सिर्फ दिल्ली ही नहीं सुलगा था बल्कि देश के कई हिस्सों में दंगो की आग फैली थी। GRAHAN सीरीज इस दंगे या इंदिरा गांधी की मृत्यु पर आधारित कोई सीरीज नहीं। बल्कि यह सीरीज तो बोकारो शहर में दंगो के बैकड्रॉप में दो लोगो के बीच उपजते, उजड़ते व बिछड़ते प्रेम की कहानी हैं।

GRAHAN inspired from Satya Vyas novel Chauraasi (84)

GRAHAN की कहानी दो काल खंडों में चलती है। 2016 से शुरू होकर 1984 और उसके एक-दो साल आगे पीछे की घटनाओं को समेटती हुई। साल 2016 है और अमृता सिंह रांची में अपने सिख पिता गुरसेवक के साथ रहती है। पिता चाहते हैं कि अमृता शादी करके कनाडा चली जाए, जहां उसका बॉयफ्रेंड रहता है, मगर अमृता को अपनी नौकरी व देश से ज्यादा प्यार होता है तो वो यह सब टालती रहती है। वही झारखंड में चुनाव की दस्तक हो चुकी है और इस दौरान एक स्थानीय पत्रकार की हत्या होती है। इस हत्या की जांच के दौरान अमृता के सामने पावर और पॉलिटिक्स के काले पत्ते खुलते नज़र आते है। चुनाव में रुख बदलने के लिए मौजूदा सरकार बोकारो में 1984 में सिखों के ख़िलाफ़ हुए दंगों की जांच दोबारा शुरू करने के आदेश, पुलिस विभाग को देती है। इन दंगों के पीछे विपक्षी नेता संजय सिंह का हाथ माना जाता है, मगर अब तक किसी भी जांच में उसके ख़िलाफ़ कोई सबूत या गवाह नहीं मिल सका था। एसआईटी का गठन होता है, इंचार्ज अमृता सिंह को बनाया जाता है। अमृता के साथ डिप्टी एसपी विकास मंडल जुड़ते है, जिसके नाम हर केस को क्लोज़ करने का अनोखा रिकॉर्ड है। इस जांच के दौरान अमृता को कई राज़ ऐसे पता चलते है जो उसको हिला के रख देते है। अमृता को क्या पता लगता है और वो सच के कितने करीब पहुँच पाती है या इसमे प्रेम कहानी कहाँ है? इन सब सवालों का जवाब आपको सीरीज देखने के बाद ही पता लगेगा।

अब हम बात कर लेते है GRAHAN में की गई अदाकारी की मगर उस से पहले इस सीरीज की कास्टिंग के लिए Mukesh Chabra को साधुवाद देना होगा। यह सीरीज इतने संवेदनशील मुद्दे को अपने साथ लेकर चलती है कि इस सीरीज को ऐसे चेहरे चाहिए थे जो एक दम असली लगे। और ये असलियत लाने में कास्टिंग ने कोई कसर नहीं छोड़ी। चाहे 1984 के किरदार हो या बड़े होकर 2016 के, कही भी असलियत से वास्ता नहीं छूटता है।

अदाकारी की बात करे तो गुरसेवक के किरदार में पवन मल्होत्रा ने जो किया, वो कमाल है। आख़िरी एपिसोड तक पवन मल्होत्रा के अभिनय का शानदार पक्ष देखने को मिलेगा। आईपीएस अमृता सिंह के किरदार में ज़ोया हुसैन ने अच्छा काम किया है। मुक्केबाज फ़िल्म के बाद यह पहली स्क्रिप्ट होगी जहाँ उन्हें अपने अभिनय दिखाने का एक बेहतरीन मौका मिला, और ज़ोया ने उसे बखूबी निभाया भी है। ऋषि रंजन के किरदार में अंशुमान पुष्कर जो की आजकल आपको हर दूसरी सीरीज में दिख रहे होंगे, GRAHAN में इन्होंने अब तक का सबसे शानदार काम किया है। मनु के किरदार में वमिका गब्बी ने भी सीरीज़ को पूरी तरह से संभाला है।

Lead Cast of GRAHAN

बाकी डिप्टी एसपी विकास मंडल के किरदार में सहीदुर रहमान, संजय सिंह यानी चुन्नु के किरदार में टीकम जोशी और सीएम केदार भगत के रूप में सत्यकाम आनंद ने भी बेहतरीन काम किया है। कास्टिंग, एक्टिंग व राइटिंग इतनी बढ़िया और गहरी है कि हम सहयोगी किरदारों को नज़रंदाज़ नहीं कर सकते।

हर किरदार बढ़िया से निभाया व लिखा गया है। लेखकों की टीम ने इस संवेदनशील मुद्दे को बड़ी परिपक्वता से पिरोया है। 1984 से 2016 में आने जाने में कुछ भी अटपटा नहीं लगता। सब बिल्कुल मक्खन लगता है। इसका श्रेय इस सीरीज के एडिटर शान मोहम्मद को भी जाता है, एडिटिंग काफी स्मूथ है। सीरीज का Background score कई जगह पर जबरदस्ती घुसाया हुआ लगता है मगर सीरीज में वरुण ग्रोवर और अमित त्रिवेदी द्वारा लिखा व बनाया गया एक प्यारा गाना भी है। जो थोड़ा emotional कर देता है।

इस सीरीज की सबसे खास बात है इसका स्क्रीनप्ले और इसके डायलॉग्स। 1984 की बात करते हुए भी यह सब काफी प्रासंगिक लगता है, इस सीरीज के किरदार सरल वाक्यों में गहरी बात कह देते है। जैसे कि एक जगह ज़ोया का किरदार अमृता बोलती है,
“जो कुछ हुआ है यह जानकर अगर किसी को असर नहीं होता तो यह Problem है”
हालांकि एक शिकायत यह है सीरीज से की कुछ जगह थोड़ी खींची खींची सी लगती है और जिस तरीके से सत्य व्यास अपने उपन्यास में शहर को एक किरदार की तरह ट्रीट करते है, वैसा treatment यह सीरीज नहीं दे पाई। लिखा सब अच्छा है बस execution और बेहतर होता तो ज्यादा मज़ा आता।

ओवरऑल देखे तो एक उपन्यास से प्रेरित होकर GRAHAN सीरीज बनाना एक अच्छा प्रयास है। ऐसे प्रयासों को सराहना मिलनी चाहिए ताकि आगे और भी लेखकों के उपन्यासों को किसी फिल्म या सीरीज के रूप में देखते रहने का मौका मिले।

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