Sunday, December 22
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कविता: “हम भूख से कैसे लड़ पाएंगे?”

The poem was written during India’s Covid-19 lockdown, when migrant workers from Delhi-NCR, Mumbai, Hyderabad, Chennai, Bengaluru, and various other megacities were returning to their home on foot. Internet was full of heartbreaking pictures of migrants in plight with nothing to eat and nowhere to live.

 A migrant worker's daughter sleeps on the road while returning home on foot from Delhi during Covid-19 lockdown in India. (Photo: Adnan Abidi/Reuters)
A migrant worker returning home on foot, carrying his child during Covid-19 lockdown in India. (Courtesy: QuartzIndia)

सफ़र लम्बा है ,
इस बंद पड़ी दुनिया और वीरान रास्तों पर
हाथों में सामान लिए, प़ीठ पर बच्चों को लेकर
भूखे-प्यासे नंगे पैर
हम चले तो जा रहे हैं
पंद्रह सौ किलोम़ीटर का सफ़र
क्या हम पैदल तय कर पायेंगे?
क्या इस तपत़ी धूप में
हमारे पैर कहीं जल जायेंगे?
कोरोना से तो हम लड लेंगे।
पर भूख से कैसे लड़ पायेंगे?

सरकारों के आपस में ही मतभेद हैं
हर नेता दूसरे नेता को
असफल ठहराने में लगा है
कोई साहब अपने
मन की बात बता रहे हैं
कोई साहब अपने
मन की बार सुना रहे हैं
लेकिन हम मजदूरों के मन की बात
तो न कोई सुन सकता
न कोई बता सकता
अब हमारे जज़्बात हमें
अंदर से ही खा जायेंगे
कोरोना से तो हम लड़ लेंगे
पर भूख से कैसे लड़ पायेंगे?

 A migrant worker's daughter sleeps on the road while returning home on foot from Delhi during Covid-19 lockdown in India. (Photo: Adnan Abidi/Reuters)
 A migrant worker’s daughter sleeps on the road while returning home on foot from Delhi during Covid-19 lockdown in India. (Photo: Adnan Abidi/Reuters)

हमने सुना है की
श्रमिकों को घर भेजा जाना है
जिसके लिए सभी सरकारें
तैयारियां करने में लग़ी है
बसों और ट्रेनों को सेनिटाइज़ कराया जा रहा है
इन सभी बसों और ट्रेनों को
श्रमिक स्पेशल नाम दिया गया है
लेकिन ये जो बसें और ट्रेनें हैं
इनके चलते, भूखे-प्यासे हम
अपनी मृत्यु के आने से पहले
क्या अपनी मंजिल तक पहुंच पायेंगे?
कोरोना से तो हम लड़ लेंगे।
पर भूख से कैसे लड़ पायेंगे?

करोडों रुपयों का बजट निकाला जा रहा है
हर घर राशन की मुहिम चलाई जा रही है
कहते हैं की ये सब हम
स़ीधा मजदूरों तक पहुंचायेंगे
पर ये सब तो सरकार और हमारे
ब़ीच के दलाल चट कर जायेंगे
और हम मजदूर यहाँ भूखे ही रह जायेंगे
कोरोना से तो हम लड़ लेंगे
पर भूख से कैसे लड़ पायेंगे?

Bollywood actor, Sonu Sood has emerged as a Messiah for migrants during Covid-19 lockdown in India. (Courtesy: PTI)
Bollywood actor, Sonu Sood has emerged as a Messiah for migrants during Covid-19 lockdown in India. (Courtesy: PTI)

अब तो कोरोना ने भी मान लिया
की हमें कोरोना से ज़्यादा भूख ने मारा है
अरे आप से अच्छे तो वे नेक इंसान हैं
जो फ़रिश्ते बनकर अपनी कमाई से
बिना स्वार्थ के
हम मजदूरों को राशन बाँट रहे हैं
और बसें मंगवाकर, या हवाई जहाज से हमें मरने से पहले
हमारी मंजिल तक पहुंचा रहे हैं
इस वैश्विक महामारी में अगर
सभ़ी सरकारें सिर्फ राजनीति करेंग़ी
तो इस कोरोना काल से कैसे बाहर आयेंगे?
क्या ये स्वार्थी लोग इतिहास को और
आने वाली पीढ़ी को जवाब दे पायेंगे?
सेवा, मदद, भक्ति और देशभक्ति
निस्वार्थ भाव से की जात़ी है, ये जान लो…
खैर कोई बात नहीं
आप अपना पेट भरो
हम तो मजदूर ठहरे
गरीबी और भूख से जूझना ही हमारी जिंदगी है
और भूख से जूझते हुए ही हम मर जायेंगे।
पर एक बात तो बता दो
कोरोना से तो हम लड़ लेंगे
पर भूख से कैसे लड़ पायेंगे?

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