Friday, October 4
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चीन द्वारा स्टेपल वीजा जारी करने पर भारत की कड़ी प्रतिक्रिया – “ये बर्दाश्त बिल्कुल नहीं”

भारतीय वुशु टीम के तीन खिलाड़ियों को चीन ने स्टेपल वीजा जारी किया, जिससे वे चीन की ओर जा सकते थे। इसके परिणामस्वरूप भारत सरकार ने वुशु टीम के सभी खिलाड़ियों को एयरपोर्ट से वापस बुलाया, जाहिर होता है कि भारत इस कदम को अस्वीकार्य ठहराते हुए उचित और सख्त रुख का पालन कर रहा है।

वर्ल्ड यूनिवर्सिटी गेम्स में भाग लेने के लिए भारतीय वुशु टीम का सदस्य होने का मौका मिला था, जिसमें अरुणाचल प्रदेश से तीन खिलाड़ी शामिल थे। इस उत्सव को चीन में आयोजित किया जा रहा था और भारतीय टीम के 11 सदस्य इस कार्यक्रम में भाग लेने के लिए तैयार थे। लेकिन अचानक चीन ने वुशु टीम के तीन खिलाड़ियों को स्टेपल वीजा जारी कर दिया।

स्टेपल वीजा के जरिए, यात्री को उनके पासपोर्ट के साथ एक अन्य कागज को स्टेपलर की मदद से नत्थी कर दिया जाता है। इससे उन्हें अपने यात्रा के बारे में पासपोर्ट में कोई विवरण नहीं मिलता है। विपरीत तथ्य यह है कि नॉर्मल वीजा में ऐसा नहीं होता है और उसमें यात्रा का विवरण दर्ज होता है।

इस आंदोलन के परिणामस्वरूप, भारतीय सरकार ने चीन के इस निर्णय को अस्वीकार्य बताया है और सभी खिलाड़ियों को विदेश मंत्रालय के निर्देशानुसार एयरपोर्ट से वापस बुला लिया है। इस प्रक्रिया के दौरान, चीन ने अरुणाचल प्रदेश के तीन खिलाड़ियों को नॉर्मल वीजा के बजाय स्टेपल वीजा जारी किया था।

भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने इस विवाद के संबंध में प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, “हमारे संज्ञान में आया है कि चीन ने वुशु टीम के कुछ खिलाड़ियों को स्टेपल वीजा जारी किया है। यह अस्वीकार्य है और हमने इस मुद्दे पर चीनी अधिकारियों के सामने अपना कड़ा विरोध दर्ज कराया है। हमारा स्टैंड साफ है कि वीजा देने में जाति या स्थान के आधार पर किसी भी तरह का भेदभाव हमें स्वीकार्य नहीं है। भारत इस तरह की कार्रवाइयों पर उचित प्रतिक्रिया देने का अधिकार रखता है।”

इस घटना ने दोनों देशों के बीच राजनीतिक तनाव को बढ़ा दिया है। भारत और चीन के बीच सीमा विवादों के चलते रिश्तों में तनाव हमेशा से रहा है। विशेष रूप से, अरुणाचल प्रदेश के तत्कालीक राजनीतिक स्थान पर चीन का दावा हमेशा से मुद्दा रहा है, जिससे दोनों देशों के बीच तनाव बरकरार रहता है।

वुशु टीम के खिलाड़ियों को स्टेपल वीजा जारी करने से पूर्व, विदेश मंत्रालय के स्तर पर भी कई चर्चाएं हुईं थीं। यात्रा को लेकर चीनी अधिकारियों के साथ संवाद के बावजूद, चीन ने अपना स्टैंड बदलकर स्टेपल वीजा जारी किया था, जो भारत के स्टैंड के विपरीत था। इससे विश्वास किया जा सकता है कि यह फैसला भारत-चीन संबंधों में अब तक के विपरीत प्रभाव डालेगा।

यह विवाद भारत और चीन के संबंधों में नए रंग का है जिससे दोनों देशों के बीच सीमा समस्याओं का समाधान करने की जरूरत है। राजनीतिक अधिकारियों को इस मामले में संवेदनशीली और उचित तरीके से कार्रवाई करने की जरूरत है जिससे दोनों देशों के बीच रिश्तों में बदलाव आ सके और तनाव कम हो सके।

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