Anti-government protests are going on all over Nepal with people demanding the restoration of monarchy. Nepali people are angry with the Communist and Maoist rule, paving way for people dreaming about Hindu Rashtra Nepal again after 12 years of abolishing monarchy.
The Ganga Times, Gaya: पडोसी देश नेपाल से लोकतंत्र-विरोधी आवाजों (Anti-democracy voices in Nepal) के आने की खबर आ रही हैं। देश के कई शहरों में मौजूदा शासन प्रणाली, प्रजातंत्र को खत्म करने की मांग ने मजबूती पकड़ लिया है। लाखों युवा नेपाल की सड़कों पर राजतन्त्र की दोबारा बहाली और नेपाल में हिन्दू परंपरा के अनुसार राजकाज चलने की मांग कर रहे हैं। 12 साल पहले राजतन्त्र की नैया को छोड़, नेपाल ने लोकतंत्र की बयार को पकड़ा था। लेकिन लगता है की महज एक दशक बाद ही लोगों का भरोसा सरकारों की कार्यपद्धत्ति से उठ चुका है।
कम्युनिष्ट सरकार से खफा हैं लोग (Nepalis are angry with the Communist Party)
बता दें की नेपाल ने 2015 में नया संविधान अपनाया था जिसके बाद नेपाली कम्युनिस्ट पार्टी के केपी शर्मा ओली प्रधानमंत्री (Nepal PM KP Oli) बने। 2017 में हुए चुनाव में फिर से कम्युनिस्ट पार्टी की जीत हुई थी। अब वहां इस संविधान को निरस्त कर फिर से राजतन्त्र लागू करने की मांग चल रही है। नेपाली बुद्धिजीविओं की माने तो इन रैलियों में सिर्फ राजतन्त्र के समर्थक ही नहीं बल्कि वो लोग भी शामिल हैं जिन्होंने मौजूदा सरकार को वोट दिया था और विपक्ष के समर्थक हैं। इससे पता चलता है की लोग कितने नाराज हैं। कुछ लोगों का तो ये भी मानना है की 2015 का संविधान (Nepal’s constitution of 2015) जन भावनाओं का ख्याल नहीं रखता क्यूंकि ये कुछ चुनिंदा लोगों द्वारा ही बनाया गया था।
क्या नेपाल में लोकतंत्र से बेहतर है राजशाही? (Is Hindu Rashtra Nepal better than the democratic rule?)
दुनियाभर के देशों में फैला हुआ लोकतंत्र वर्त्तमान समय की सबसे बेहतर शासन व्यवस्था मानी जाती है। यही वजह है की ज्यादातर बड़े देश – अमेरिका (USA), भारत (India), ब्राजील (Brazil), कनाडा (Canada), इंग्लैंड (England), जर्मनी (Germany), आदि में लोकतंत्र की बयार है। परन्तु यह माना जा रहा है की नेपाल की लोकतंत्र में लोगों के लिए कुछ है ही नहीं। नेपाल का इतहास (history of Nepal) बताता है की जब भी राजनितिक पार्टियां सत्ता सम्हालती है तो उनके नेतृत्व में एक प्रकार का सत्ता संघर्ष बना रहता है। आज के कम्युनिष्ट पार्टी में यही हो रहा है जोकि लोगो के विचार से बिलकुल उलट है।
यह एक जन आंदोलन है (Political Parties have destroyed the Hindu identity of Nepal)
कम्युनिष्ट सरकार (Communist Party of Nepal) चाहे जितना भी विपक्ष पर भंडा भोड़ने की कोशिश कर ले लेकिन लोगों की नजर में सच्चाई यही है की इन आंदोलनों में कोई नेता नहीं है। यह एक जन आंदोलन है जिसे नेपाल के युवा वर्ग संचालन कर रहे हैं। 2008 में राजशाही ख़त्म करने वाला नेपाल 2015 से ही लोगों के गुस्से का शिकार बनता आ रहा है। नेपाल में 2004-05 में हुए राजशाही विरोधी आन्दोलन के बाद यहां की कम्युनिष्ट पार्टी और तत्कालीन माओवादी पार्टी ने देश की हिंदू राष्ट्र (Hindu Rashtra Nepal) के रूप में सदियों से रहे पहचान को नष्ट कर दिया.
वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से बातचीत करते हुए काठमांडू यूनिवर्सिटी (Kathmandu University) के एक छात्र ने कहा की, नेपाल की 90 प्रतिशत आबादी हिंदू और बौद्ध धर्म (90% Hindus and Buddhists in Nepal) से मजबूती से जुड़ी हुई है। यहाँ के लोग अत्यंत धार्मिक हैं। लेकिन संविधान बनाने वालों ने पश्चिमी सभ्यता को यहाँ के लोगों पर जबरदस्ती थोपा है। सड़कों पर दिख रहे लोग अत्यंत निराश हैं और बदलाव चाहते हैं।
Keep visiting The Ganga Times for such interesting news from Jehanabad, Bihar News, India News, and World News. Follow us on Facebook, Twitter, and Instagram for regular updates.