Mucormycosis is a fungal infection cause by fungi. In this article, we will know what is Black Fungus kya hai? What is Black Fungal disease?
The Ganga Times, Black Fungus: कोविड-19 की लहर अभी खत्म भी नहीं हुई थी की एक नई बीमारी ने पैर जमाने शुरू कर दिए हैं। एक तरफ जहाँ हजारों लोग सरकारी तंत्र की लापरवाही के कारण कोरोना से मर रहे हैं, वही दूसरी तरफ इस वायरस का साथ देने के लिए ब्लैक फंगल (Black Fungus kya hai) नामक बीमारी आ चुकी है। सबसे अजीब बात यह है कि इस फंगल इन्फेक्शन कि चपेट में वही लोग आ रहे हैं जो कोरोना कि जंग जीत चुके हैं।
कोरोना का इलाज करा चुके मरीजों में ब्लैक फंगल अथवा फंगल इंफेक्शन का खतरा बढ़ता जा रहा है। देश के कई हिस्सों से ऐसे मामलों की खबरें आ रही हैं जिसमे कोरोना से ठीक हुए लोग इसकी चपेट में आ रहे हैं। इस बीमारी में किसी के दांत तो किसी की आंख निकालनी पड़ रही है। इस बीमारी को आमतौर पर ब्लैक फंगल नाम से जाना जाता है और इसका वैज्ञानिक नाम है: ‘म्यूकोरमाइकोसिस’ (Mucurmycosis)।
What is Black Fungus kya hai?
भारतीय चिकित्सा विज्ञान परिषद (आईसीएमआर) के मुताबिक, ब्लैक फंगल (Black Fungal disease) एक तरह की दुर्लभ बीमारी है जो शरीर में बहुत तेजी से फैलाती है। डॉक्टर्स की माने तो यह फंगस 2-3 दिन तक नाक में रहता है और फिर आँखों की ओर बढ़ता है। इस इन्फेक्शन की वजह से एक व्यक्ति का मस्तिष्क, फेफड़े और त्वचा बुरी तरह से संक्रमित होता है। इस बीमारी के कारण कई लोगों के आंखों की रौशनी चली जाती है तो कुछ मरीजों के जबड़े और नाक की हड्डी गल जाती है। समय रहते सही इलाज न मिलने पर मरीज की मौत भी हो सकती है।
ऐसे लोग जो कोरोना की चपेट में आने से पहले किसी दूसरी बीमारी से पीड़ित थे, उनको ब्लैक फंगस तेजी से अटैक कर रहा है। चूँकि उनकी पर्यावरणीय रोगजनकों से लड़ने की क्षमता कम हो जाती है, अस्पताल में मौजूद फंगस उनके शरीर पर आसानी से हमला कर देते हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार, कोविड-19 के इलाज में इस्तेमाल होने वाले स्टेरॉयड भी इस फंगल इंफेक्शन को बढ़ा रहे हैं। वैसे लोगों को ख़ासकर सतर्क रहने कि जरूरत है जिनकी इम्युनिटी कमजोर है और जो डायबिटीज के मरीज हैं।
इस इन्फेक्शन के क्या लक्षण हैं? Black Fungus ke lakshan kya hain?
अगर आपको बुखार के साथ साथ सिरदर्द, खांसी और सांस लेने में तकलीफ है तो तुरंत ही डॉक्टर को दिखाएं। कई मामलों में खूनी उल्टी होती है और मानसिक स्थिति बदली हुई नजर आती है। डॉक्टर्स के अनुसार, आंखों या नाक के आसपास दर्द होना और स्किन पर फुंसी या छाले पड़ना भी ब्लैक फंगल के लक्षण हैं। अगर एंटीफंगल दवाओं से इस संक्रमण का इलाज समय रहते शुरू कर दिया जाए तो मरीज को ठीक किया जा सकता है। लेकिन ध्यान रहे कि बिना डॉक्टर की सलाह के कोई दवा का सेवन न करें।
हालाँकि ये बीमारी जानलेवा ज़रूर है पर इलाज संभव है।
बता दें कि इस संक्रमण की मृत्यु दर 50% है, यानी हर दूसरा संक्रमित अपने प्राण से हाथ धो बैठता है। लेकिन मेडिकल एक्सपर्ट्स की माने तो समय रहते मरीज में रोग की पहचान हो जाने से काफी हद तक इलाज संभव है। इसके इलाज में एंटीफंगल दवाओं का साथ लिया जाता है। इसलिए इससे बचने का सबसे सरल उपाय है अपने Immunity Power (प्रतिरोधक क्षमता) को बनाये रखना। स्वस्थ खाना खाइये, खूब नींद लीजिये, घर में रहिये, बिना मतलब बाहर मत जाइये और जब भी जाना पड़े मास्क साथ ले जाना मत भूलिए।
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