शारदीय नवरात्रि के दिन से ही पुरे भारतवर्ष में दुर्गा पूजा (Durga Puja) की गूंज सुनाई देने लगती है।
17 अक्टूबर को शारदीय नवरात्रि की शुरुआत से ही पुरे भारतवर्ष में दुर्गा पूजा (Durga Puja) की गूंज सुनाई देने लगी थी। लोग अपने अपने घरों में माँ शेरावाली (Maa Sherawali) के आगमन की तैयारियों में लग गए थे। जैसे जैसे महाष्टमी और महानवमी नजदीक आ रही थी लोगों में तिथि एवं पूजन समय को लेकर कई दुविधाएं थी। आइये जानते हैं कब और कैसे करें माता रानी का पूजन जिससे माँ भक्तों पर अत्यंत प्रसन्न हो जाती हैं।
When is Saptami, Ashtami, Navmi, and Dussehra?
हिन्दू कैलेंडर के अनुसार आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पहली तिथि से दुर्गा पूजा का शुभारंभ हो जाता है। दशमी के दिन भक्तजन माता के पूजन का समापन करते हैं।
- सप्तमी : 23 अक्टूबर, शुक्रवार 12:09 बजे तक
- दुर्गा अष्टमी एवं कन्या पूजा : 24 अक्टूबर, शनिवार को दिन में 11:27 बजे तक
- महानवमी, नवमी हवन, विजयदशमी या दशहरा : 25 अक्टूबर, रविवार को दिन में 11:14 बजे तक
- (– बंगाल में इस दिन को दुर्गा बलिदान के रूप में भी मनाया जाता है। )
- 25 अक्टूबर की शाम से दशमी तिथि प्रारम्भ हो जाएगी। अतः इस वर्ष दशहरा या विजयादशमी भी इसी दिन मनाया जाएग।
- 26 अक्टूबर को बंगाल में सिंदूर उत्सव
Poojan Vidhi and Mantra
महाष्टमी की तिथि को सुबह स्नान करने के पश्चात माँ भवानी का पूजन पूरे विधि से करनी चाहिए। माता की प्रतिमा को लाल रंग की चुनरी से सुसज्जित कर यज्ञ करने से माता की कृपा दुगुनी हो जाती है। पूजन के बाद नौ कन्याओं (जो माता के नौ रूपों को निरूपित करती हैं) को भोजन करने की प्रथा है। तत्पश्चात नीचे दिए गए मन्त्र का ग्यारह बार जाप करें :
‘या देवी सर्वभूतेषु शांति रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः’
Jai Maa Ambe.. Very informative news
This is why I love the Ganga Times..