What is the history of Gaya district? Kya hai Bihar ke Gaya jila ka itihaas? Gayasur kaise bana Bhagwan Vishnu ji ka bhakt? Gaya kyon famous hai? Jaaniye Vishnupad mandir ka itihas.
प्राचीन काल में जब राक्षस लोग तपस्या करने लगते थे देवताओं की तो मानो शामत ही आ जाती थी। वायु पुराण में भी एक ऐसी ही कथा का वर्णन है। एक बार एक बड़ा ही भयानक राक्षस भगवान विष्णु की तपस्या करने लगा। उसकी तपस्या में ऐसी शक्तियाँ थीं कि देवताओं को कष्ट होने लगा। सभी देवता भगवान शिव और ब्रह्मा के नेतृत्व में विष्णु जी के पास गए।
देवताओं के कहने पर विष्णु सहमत हो गए और पहुंच गए कोलाहल पर्वत पर जहाँ वो राक्षस कई दिनों से सांस रोके तप कर रहा था। भगवान नारायण ने कहा, “आंखें खोलो वत्स, मैं तुम्हारी तपस्या से प्रसन्न हुआ।” भगवान ने कोई एक वरदान स्वीकार करने का वचन दिया।तब उस दैत्य ने श्री विष्णु से कहा, मुझे ऐसा वर दो भगवन कि मेरे स्पर्श से सुर-असुर, कीट-पतंग, पापी ऋषि, मुनि, भूत-प्रेत आदि सभी पवित्र होकर मुक्त हो जाएँ। भगवान ने अपने भक्त को एवमस्तु कह अंतर्ध्यान हो गए।
हम यहाँ जिस विष्णु-भक्त राक्षस का जिक्र कर रहे हैं वो है गयासुर (Gayasur), जिसके नाम से गया जिले का नाम पड़ा। कहा जाता है कि गयासुर का शरीर ही गया क्षेत्र का भू-दृश्य बना। इसके पीछे भी एक रोचक कथा है।
Gaya Jila ka Itihaas: The Gayasur Story
वरदान मिलते ही गयासुर गायब हो गया। वहां देवलोक में भगवान इंद्र सहित सभी देवताओं को लगने लगा कि पृथ्वी वीरान लग रही है। तब विष्णु जी ने देवताओं को यज्ञ करने को कहा। गयासुर से बलि देने के लिए उसका शरीर माँगा गया। भगवान का सच्चा भक्त गयासुर तुरंत राजी हो गया। बलि दी गई और उसका सर धड़ से अलग कर दिया गया।
जैसे ही ब्रह्मा जी गयासुर के सिरविहीन शरीर पर यज्ञ करने के लिए आगे बढ़े, उसका शरीर कांपने लगा। इसका मतलब था कि बलिदान ठीक से नहीं किया जा सका। यज्ञ के दौरान शरीर ना कांपे इसके लिए देवताओं ने गयासुर के शरीर पर पत्थर रख दिया। स्वयं विष्णु जी भी एक पत्थर में प्रवेश कर गए। गयासुर के शरीर पर पत्थर रखने के कारण गया चट्टानी पहाड़ियों की श्रृंखला में तब्दील हो गया।
Why is Gaya the most sacred place on the Earth?
देवी-देवताओं ने गयासुर के मरने के पश्चात उसके शरीर पर रहने का वादा किया था, इसलिए शहर के छोटे छोटे पहाड़ों पर कई मंदिर हैं जैसे राम शिला, प्रेता शिला, ब्रह्मयोनी आदि। चुकी भगवान विष्णु सहित सभी देवता हमेशा गया में वास करते हैं, गया जी को धरती का सबसे पवित्र स्थल माना गया है।
हर साल पूरे भारत से करोड़ों लोग अपने पूर्वजों के पापों का नाश करने के लिए गया में फल्गु नदी के किनारे श्राद्ध यज्ञ करवाते हैं।गया जी की ख़ूबसूरती प्रकृति और आध्यात्म का संगम है। पवित्र फाल्गु नदी के किनारे का घाट और छठ पर्व पे लगने वाली भीड़ गया की धार्मिक महत्ता में चार चाँद लगा देते हैं। शहर का सबसे प्राचीन और लोकप्रिय मंदिर विष्णुपद है जो कि भगवान हरि के पदचिह्न द्वारा चिन्हित किया गया है।
शहर में स्थित मंगला गौरी के मंदिर में भी हर दिन हजारों श्रद्धालु माथा टिकाते हैं। पुराणों में कहा गया है कि यहाँ दो गोल पत्थरों की पूजा होती है जो कि माता सती के स्तनों का प्रतीक है। यहां माता को स्तन के रूप में पूजा जाता है। माना जाता है कि यहाँ पूजन करने वाले अपने बच्चे बच्चियों को माता पोषण, प्रेम और विद्या देती हैं।
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