In seven decades of Indian Republic, we have come a long way in strengthening our Constitution and Democracy. Being the land of enlightenment, Bihar has contributed a lot to India’s march towards a mature nation. This Republic Day, let’s remember some of the makers of Indian Constitution from Bihar. Here is the list of 10 prominent members of Constituent Assembly from Bihar who drafted the Constitution of India.
The Ganga Times, Bihar Facts: बिहार ने देश को कई रत्न दिए हैं और आगे भी देता रहेगा। सम्राट अशोक से डॉ राजेंद्र प्रसाद तक और गुरु गोविन्द सिंह से रामधारी सिंह दिनकर तक, बिहार की पावन धरा पर जन्मे अनगिनत लोगों ने देश का नाम रोशन किया है। आज गणतंत्र दिवस के मौके पर, आइये जानते हैं ऐसे ही कुछ महान नेताओं के बारे में जिन्होंने भारत देश का सपना साकार किया। बिहार की धरती से आने वाले इन सभी पंडितों और ज्ञानियों ने भारत का संविधान बनाने में अहम् योगदान दिया था। ये सभी संविधान सभा के सदस्य थे। A decorated list of the members of Constituent Assembly from Bihar.
जगजीवन राम (Jagjivan Ram)
भारत के पूर्व उप-प्रधानमंत्री बाबू जगजीवन राम भारत की संविधान सभा में एक प्रमुख दलित चेहरा (Dalit face in the Constituent Assembly) थे। उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि सामाजिक न्याय (social justice) संविधान में एक अभिन्न अंग की तरह निहित रहे। 1946 में जवाहरलाल नेहरू की अंतरिम सरकार में सबसे कम उम्र के मंत्री बने। आगे चल कर उन्होंने 1971 के युद्ध में भारत का नेतृत्व रक्षा मंत्री के रूप में किया। इसके अलावा उन्हें हरित क्रांति के दौरान भारतीय कृषि क्षेत्र के आधुनिकीकरण के लिए भी जाना जाता है।
श्री कृष्ण सिंह (Bihar Kesri Dr Shri Krishna Singh)
बिहार के इतिहास में श्री कृष्ण सिंह का नाम स्वर्णिम अक्षरों में लिखा हुआ है। श्री बाबू के नाम से मशहूर, बिहार के प्रथम मुख्यमंत्री (first chief minister of Bihar) ने अपने कार्यकाल में कई अहम् फैसले लिए जैसे देवघर के वैधनाथ मंदिर में दलितों का प्रवेश और ज़मींदारी प्रथा ख़त्म करना। संविधान सभा में जब वो अपनी बात रखते थे तो सभी उनकी वाणी से प्रभावित होते थे। उनकी सिंह जैसे गर्जना के कारण ही उन्हें लोग बिहार केसरी भी कहते थे।
अनुग्रह नारायण सिंह (Bihar Vibhuti Anugrah Narayan Sinha)
आधुनिक बिहार के निर्माताओं (Makers of modern Bihar) में से एक, बिहार विभूति अनुग्रह नारायण सिंह एक कुशल राजनीतिज्ञ और प्रखर शिक्षाविद् थे। संविधान सभा में उन्होंने बिहार का नेतृत्व बड़ी कुशलता से की थी। कहा जाता है कि पंडित नेहरू (Pandit Nehru) ने उन्हें कई बार केंद्र में मंत्रिपद का प्रस्ताव दिया था लेकिन हर बार उन्होंने मन कर दिया क्योंकि वो बिहार में काम करना चाहते थे। ये बताता है कि वो अपनी जमीं से कितना प्यार करते थे।
के टी शाह (K. T. Shah)
संविधान निर्माण में के टी शाह का योगदान अतुलनीय है। संविधान सभा में दिए उनके भाषणों, तर्क-वितरकों को आज भी संविधान के क्षेत्रों द्वारा पढ़ा जाता है। उन्होंने भारतीय संविधान में ‘आर्थिक और सामाजिक’ अधिकारों को शामिल करने का समर्थन किया था। पेशे से अर्थशास्त्री और वकील रहे, के टी शाह भारत को राष्ट्रपति प्रणाली (Presidential system) वाला देश बनाने के पक्षधर थे। संविधान में ‘धर्मनिरपेक्ष’ शब्द को शामिल करने के पक्ष में भी उन्होंने अपनी बात रखी थी। शाह स्वतंत्र भारत के पहले राष्ट्रपति चुनाव में मुख्य प्रतिद्वंद्वी उम्मीदवार थे, और 15.3% वोट हासिल कर डॉ राजेंद्र प्रसाद से हार गए।
ब्रजेश्वर प्रसाद (Brajeshwar Prashad, first MP from Gaya)
ज्ञान की धरती गया में जन्मे ब्रजेश्वर प्रसाद एक बेहतरीन बौद्धिक समझ और दृढ़ विश्वासी व्यक्ति थे। गांधी जी की सत्याग्रह की पुकार में उन्होंने जमकर भाग लिया था। गया से सांसद (first MP from Gaya) रहे ब्रजेश्वर प्रसाद एक क्रांतिकारी छवि वाले नेता थे। उनका मत था की कम से कम एक दशक तक भारत में प्रांतीय स्वायत्तता को खत्म कर दिया जाये और पूरी सत्ता को राष्ट्रपति के हवाले कर दिया जाये और चार लोग – पंडित नेहरू, सरदार पटेल, मौलाना आज़ाद, और चक्रवर्ती राजगोपालाचारी नए भारत न निर्माण करें।
राजेंद्र प्रसाद (Desh Ratna Dr Rajendra Prasad)
भारतीय गणराज्य के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद ने ही संविधान की रूपरेखा तैयार की थी। देश-रत्न के नाम से मशहूर राजेंद्र बाबू को संविधान सभा का अध्यक्ष चुना गया था (president of the constituent assembly)। कृषि उत्पादन के अधिकतमकरण में उनका बहुत विश्वास था, अतः उन्होंने इस क्षेत्र में विशेष ध्यान दिया। शिक्षा के क्षेत्र में भी उन्होंने कई बार नेहरू जी (Nehru Ji) को सुझाव दिए। राष्ट्रपति के रूप में उन्होंने भारत का राजदूत बनकर कई देशों का दौरा किया।
बनारसी प्रसाद झुनझुनवाला (Banarasi Prasad Jhunjhunwala)
भागलपुर में जन्मे बनारसी प्रसाद झुनझुनवाला को बिहार से संविधान सभा में चुना गया था। संविधान बनने के बाद हुए चुनाव में उन्हें पहले और दूसरे लोकसभा में भागलपुर से जीत मिली थी।
जगत नारायण लाल (Jagat Narain Lal)
बिहार के नवीनीकरण में जगत नारायण लाल जी की प्रभावशाली भूमिका थी। हालाँकि वो कांग्रेस पार्टी से आते थे, 1926 में उन्हें हिन्दू महासभा का जेनरल सेक्रेटरी चुना गया था। संविधान सभा में उन्होंने संघात्मक संरचना (federal system), नागरिकता से संबंधित मामलों और धार्मिक अधिकारों के जुड़े कई महत्वपूर्ण मुद्दों में हस्तक्षेप किए। आज़ादी के बाद उन्हें बिहार की श्री कृष्ण सिंह की सरकार में क़ानून मंत्रालय (law minister of Bihar) दिया गया था।
सत्य नारायण सिन्हा (Satya Narayan Sinha)
भारत के पूर्व सूचना-प्रसारण मंत्री, सत्य नारायण सिन्हा ने संविधान सभा में बिहार का प्रतिनिधित्व किया था। समस्तीपुर में जन्मे श्री सिन्हा आगे चल कर मध्य प्रदेश के राज्यपाल (Governor of Madhya Pradesh) भी रहे।
सच्चिदानंद सिन्हा (Sachchidananda Sinha)
पेशे से वकील और शौक से पत्रकार सच्चिदानंद सिन्हा को संविधान सभा में बिहार से चुना गया था। सुप्रीम कोर्ट ऑफ़ इंडिया में वकालत कर चुके श्री सिन्हा को संविधान सभा का अस्थायी अध्यक्ष नियुक्त किया गया था, चुकी वो सभा के सबसे वरिष्ठ सदस्य थे। Sachchidananda Sinha was the first and temporary president of Constituent Assembly of India)
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