Dharamvir Bharati, born on 25 December 1926, was a well-renowned Hindi poet and author. He is known for being the chief editor of Hindi weekly magazine Dharmayug, from 1960 to 1987. This piece is a Dharmveer Bharti Book Review. The book is published Makhanlal Chaturvedi University of Journalism and Communication.
The Ganga Times, Book Review: पत्रकारिता के युग निर्माता डॉ. धर्मवीर भारती जी आजादी के बाद सर्वाधिक चर्चित और प्रतिष्ठित संपादकत्व का चरम थे। माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय द्वारा प्रकाशित यह पुस्तक “पत्रकारिता के युग निर्माता डॉ. धर्मवीर भारती” यशस्वी संपादक डॉ. धर्मवीर भारती जी के जीवन पर आधारित एवं रचनाधर्मिता को साकार रूप में उपस्थित करने वाली एक महत्वपूर्ण पुस्तक है।
Patrakarita ke Yug Nirmata Dharmveer Bharti Book Review
हम कह सकते है की यह पुस्तक भारती जी के जीवन और कर्म का जीवंत दस्तावेज है। इसमें बहुत सी खट्टी मीठी बहुत सी यादों, बहुत सी अनुभूतियों और भारती जी के जीवन के संघर्षों की दास्तान को वर्णित किया गया है। भारती जी एक आदर्श संपादक और मूल्यों पर आधारित पत्रकारिता के आग्रही थे। उन्होंने “धर्मयुग” के माध्यम से हिंदी की साहित्यिक पत्रकारिता (Literary journalism of Dharmveer Bharti) को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया। उन्होंने प्रतिभा संपन्न और संभावनाशील लेखकों, विशेषकर महिला लेखकों की एक पूरी पीढ़ी तैयार की।
वे अपने समय के ऐसे बेजोड़ व अनूठे संपादक थे, जो न केवल पाठकों को शिक्षित और संस्कारित भी करते थे। धर्मवीर भारती जी (Dharmaveer Bharti) की पत्रकारिता में वामपंथ और प्रगतिशीलो (Left and Liberals) को लेकर एक तरह का पूर्वाग्रह दिखाई देता था। इस पुस्तक में धर्मवीर भारती जी के जीवन को कुल पांच भागों निर्माण की राह, पत्रकारीय अवदान, धर्मयुग, संपादकीय व्यक्तित्व व साहित्यिक अवदान साथ ही इस पुस्तक भारतीय के धर्मयुग के कुछ संपादकीय परिशिष्ट भी संपादित किया गया है।
हिंदी का सर्वाधिक मंचित काव्य “अंधायुग” (Andhayug) भारती जी द्वारा लिखा गया है। अंधायुग का संदर्भ पौराणिक कथानक के माध्यम से वर्तमान मानव की विभिन्न समास्यों को अभिव्यक्त व नीति अनीति व विवेक अविवेक को विश्लेषित किया गया है। स्थिति आज भी वहीं है, जो महाभारत के समय थी।
धर्मवीर भारती ने धर्मयुग के माध्यम से हिंदी पत्रकारों (Hindi Journalists) की एक पूरी पीढ़ी तैयार की। वह एक संस्था हो गए थे।हिंदी में विज्ञान और खेल पत्रकारिता को परिष्कृत करने का श्रेय भी भारती जी को जाता है। इस पुस्तक के लेखक दो दशक से अधिक समय से पत्रकारिता में सक्रिय सुधांशु मिश्र है। जो माखनलाल विश्वविद्यालय की स्वतंत्र भारत में भारतीय पत्रकारिता का इतिहास लेखन एवं शोध कार्य किया व वर्तमान में त्रैमासिक पत्रिका मीडिया मीमांसा के संपादक है।
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