Every year on 5 September, India celebrates the birth anniversary of Dr Sarvepalli Radhakrishnan — the 2nd President of the country. He was a great thinker, educationist and philosopher. Let’s discover the best Sarvepalli Radhakrishnan Quotes in Hindi and English. Bharat ke dusare Rashtrapati Sarvepalli Radhakrishnan Quotes.
डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म तमिलनाडु के तिरुट्टनी शहर में 5 सितम्बर 1888 को हुआ था। वो भारत के पहले उपराष्ट्रपति थे और राजेंद्र प्रसाद के बाद देश के दूसरे राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली। एक शिक्षक से भारत के राष्ट्रपति बनने तक का उनका सफर अति प्रेरणादायक है। हम सभी भारतीय को उनके जीवन से सिख लेनी चाहिए। आइये नजर डालते हैं महान शिक्षाविद, प्रख्यात दार्शनिक, और भारतीय संस्कृति के संवाहक सर्वपल्ली राधाकृष्णन के कुछ अनमोल विचारों पर।
Sarvepalli Radhakrishnan Quotes:
1. Peace can come not by political or economic changes but through a change in human nature.
शांति राजनीतिक या आर्थिक बदलाव से नहीं आ सकते बल्कि मानवीय स्वभाव में बदलाव से आ सकती है.
2. Books are the means by which we build bridges between cultures.
पुस्तकें वो साधन हैं जिनके माध्यम से हम विभिन्न संस्कृतियों के बीच पुल का निर्माण कर सकते हैं.
3. Democracy is a faith in the spiritual possibilities of not a privileged few but of every human being.
लोकतंत्र सिर्फ विशेष लोगों के नहीं बल्कि हर एक मनुष्य की आध्यात्मिक संभावनाओं में एक यकीन है.
4. A life of joy and happiness is possible only on the basis of knowledge and science.
हर्ष और आनंद से परिपूर्ण जीवन केवल ज्ञान और विज्ञान के आधार पर संभव है.
5. Tolerance is the homage which the finite mind pays to the inexhaustibility of the Infinite.
सहिष्णुता वो श्रद्धांजलि है जो सीमित मन असीमित की असीमता को देता है.
6. A literary genius, it is said, resembles all, though no one resembles him.
एक साहित्यिक प्रतिभा , कहा जाता है कि हर एक की तरह दिखती है, लेकिन उस जैसा कोई नहीं दिखता.
7. Religion is the conquest of fear; the antidote to failure and death.
धर्म भय पर विजय है; असफलता और मौत का मारक है.
8. The ultimate self is free from sin, free from old age, free from death and grief, free from hunger and thirst, which desires nothing and imagines nothing.
परम मैं पाप, बुढापे, मृत्यु, दुःख, भूख और प्यास, सभी से मुक्त है, वो न कोई इच्छा रखता है, न कुछ सोचता है.
9. The end-product of education should be a free creative man, who can battle against historical circumstances and adversities of nature.
शिक्षा का परिणाम एक मुक्त रचनात्मक व्यक्ति होना चाहिए जो ऐतिहासिक परिस्थितियों और प्राकृतिक आपदाओं के विरुद्ध लड़ सके.
10. Hinduism is not just a faith. It is the union of reason and intuition that can not be defined but is only to be experienced.
हिन्दू धर्म सिर्फ एक आस्था नहीं है. यह तर्क और अन्दर से आने वाली आवाज़ का समागम है जिसे सिर्फ अनुभव किया जा सकता है परिभाषित नहीं.
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