The big game of Afghanistan Taliban is open after the last year pact between Taliban and USA. Along with the USA, India and Pakistan, China and Russia are also interested in being a part of the peace process in Afghanistan.
The Ganga Times, International Affairs: अफगानिस्तान में सरकार और तालिबान के बीच शांति समझौते पर कोई सहमति न बन पाने और गतिरोध बने रहने के कारण ना जाने कितने लोग मारे गए और बेवजह हिंसा का शिकार हुए। ख़ासकर महिलाओं को तो ना जाने कितने प्रकार के अत्याचारों का सामना करना पड़ा, उनकी आज़ादी छीन ली गई। खौफ और हिंसा का पर्याय बन चुके तालिबान से अफ़ग़ानिस्तान में शांति व्यवस्था बहाल करने के लिए एक नई कोशिश की जा रही है।जिसमे दोनों ही तरफ के बड़े नेताओं ने पहल की है।
वार्ताओं और शांति सम्मेलन का दौर: Afghanistan Taliban Conferences
अफगानिस्तान में शांति सम्मेलनों के जरिए अफगानिस्तान सरकार और तालिबान के बीच जो गतिरोध है उसे दूर करने की कोशिश तेज हो गई है। अफगानिस्तान और तालिबान (Afghanistan Taliban) के शीर्ष नेताओं की एक बैठक मास्को में बीते गुरुवार को संपन्न हुई हालांकि इस बैठक से अभी कोई नतीजा नहीं निकल पाया है लेकिन इस गतिरोध को दूर करने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई बार बातचीत का सिलसिला लंबे समय से जारी है। यह बैठक उसी कार्यक्रम का हिस्सा थी।
इस बैठक का हिस्सा रहे मोहम्मद करीम खलीली (Karim Khalili, chairman of the Afghan High Peace Counci), जो अफगानिस्तान शांति समिति के चेयरमैन है और पूर्व उपराष्ट्रपति हैं उन्होंने कहा “मुझे काफी उम्मीद है क्योंकि अफगानिस्तान के लोग अमन चाहते हैं मैंने अपने बयान में कहा कि अफगान लोगों के लिए शांति प्रक्रिया के समर्थन से बढ़कर कुछ और नहीं हो सकता मैं अफगानिस्तान में शांति बहाली होने का पक्का इरादा रखता हूं मुझे उम्मीद है कि संघर्ष जल्द खत्म होगा कुछ चुनौतियां भी हैं हमें व्यवहारिक तरीका नहीं अपनाना चाहिए अड़चनें आएंगी और विरोध भी होगा मगर क्षेत्रीय राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय सहयोग से चुनौतियों को पार कर लेंगे”
Why is Russia, China, and Pakistan interested in Afghanistan?
इस बैठक के संपन्न होने के बाद चारों देशों ने संयुक्त बयान जारी कर कर दोनों पक्षों से शांति बरतने की अपील की। खास तौर पर तालिबान से कहा गया कि वह हर साल की तरह इस साल भी बसंत के महीने में अपने हमलों में तेजी। हालांकि अफगान सरकार से भी कहा गया कि वह तालिबान के साथ कूटनीतिक सहमति बनाने पर बात शुरू।हालांकि इन देशों ने अफगानिस्तान में वैसे इस्लामिक अमीरात बहाल करने का समर्थन नहीं किया है जैसा तालिबान के राज में था।
What is the new American plan for Afghanistan?
छह हफ्तों के बाद अमेरिकी सैनिकों की मियाद खत्म होने के साथ ही अमेरिका की नई परेशानियां भी बढ़ने लगी हैं अमेरिका राष्ट्रपति का मानना है “सैनिकों के हटने पर सिविल शासन खत्म हो जाएगा और तालिबान सत्ता पर काबिज हो। अगर सैनिक वही रहते हैं तो उन पर तालिबान के खतरे को लेकर भी आशंका बनी रहेगी” इसके लिए अमेरिकी प्रशासन ने ट्रांजिशनल सरकार बनाने का सुझाव दिया है। इसके तहत चुनाव होने तक तालिबान को शामिल करके सरकार चलाई जाने की बात कही गई है। ए अमेरिकी प्रशासन की नई योजना का हिस्सा है इसमें अमेरिका के साथ United Nation की भी भूमिका होगी।
इस योजना का विरोध जताते हुए राष्ट्रपति अशरफ गनी ने कहा है कि चुनाव करवाए बिना वह किसी को सत्ता सौंपना नहीं चाहते हैं। पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजई (Hamid Karzai) ने इसका समर्थन करते हुए कहा है कि शांति इसी तरह की व्यवस्था से आ सकती है। अगर तालिबान और सरकार विवाद खत्म करना चाहते हैं तो इसके दो ही रास्ते हैं:
- तालिबान मौजूदा सरकार में शामिल हो जाए।
- राष्ट्रपति अगर चुनाव कराना चाहते हैं तो तालिबान इसके लिए तैयार हो जाए।
The Afghanistan Taliban Pact
अमेरिका और तालिबान के बीच पिछले साल एक समझौते पर सहमति बनी इस समझौते के तहत तालिबान अमेरिका और उसके सहयोगी देशों के सैनिकों पर हमला बंद करके अफगान सरकार के साथ बातचीत के लिए राजी हुआ था। इसके अलावा सभी विदेशी सैनिकों को बाहर हटाने पर भी सहमति बन गई थी।
यह समझौता ट्रंप के राष्ट्रपति रहते हुए हुआ था इस समझौते को लेकर अमेरिकी लोगों का सरकार के ऊपर दबाव था।इसमें अफगानिस्तान में होने वाले खर्चों और संसाधनों पर भी सवाल उठ रहे थे कि किस प्रकार अमेरिका दूसरे देशों में अपने सैनिकों को मरने के लिए छोड़ रहा है इस के दबाव में आकर ट्रंप ने इस समझौते पर अपनी सहमति जताई थी। इतने लम्बे समय तक अफ़ग़ानिस्तान में फंसे रहना अमेरिका के लिए दुर्भाग्यपूर्ण था इसीलिए Donald Trump ने समझौता करके इसका अंत करने की कोशिश की।
Series of violence in Afghanistan
मॉस्को में बैठक शुरू होने के पहले अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में एक बस को निशाना बनाकर बस हमले में चार लोगों की मौत हो गयी।
पिछली साल सितंबर में सरकार और तालिबान की बातचीत शुरू होने के बाद से हिंसा बढ़ी है।नबंवर में ही बंदूकधारीयो ने काबुल विश्विद्यालय पर हमला (Kabul University attack) करके 32 छात्रों को मार डाला ।साल के शुरुवात में ही दो महिला जजो और तीन महिला पत्रकारों पर हमले की खबर भी सामने आई थी। संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के अनुसार साल 2019 की तुलना में निशाना बनाकर किये गए हमलों मे 45 फीसदी की वृद्धि हुई है।
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