क्या आपने ढाई घंटे के मंत्री के बारे में कभी सुना है? अगर नहीं सुना तो बिहार के मंत्री के बारे में जान लीजिये। बिहार की नीतीश सरकार में शिक्षा मंत्री बनाये गए माननीय मेवालाल चौधरी (Mewalal Choudhary) को पद सम्हालने के करीब 2 घंटे बाद ही कुर्सी गंवानी पड़ी। श्री चौधरी ने आज ही बिहार के शिक्षा मंत्री के रूप में अपना कार्यभार संभाला था और कुछ घंटों के भीतर ही पद से इस्तीफा देना पड़ा।
पता है मंत्री जी को इस्तीफा क्यों देना पड़ा?
माननीय मंत्री श्री मेवालाल चौधरी पर भ्रष्टाचार के आरोप हैं, जो की हमारे देश के नेताओं के बारे में कोई नयी बात तो है नहीं। दरअसल बात ऐसी है की 2016 में जब चौधरी साब बिहार एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के कुलपति थे, तब उन पर भर्ती घोटाले में लिप्त होने का आरोप लगा था। इसी बात पर उस वक़्त उन्हें अपनी कुलपति की कुर्सी गंवानी पड़ी थी और आज फिर से उनकी किरकिरी हो गयी है। अमिताभ दास (पूर्व आईपीएस) ने भर्ती घोटाले की जांच के लिए डीजीपी को चिट्ठी लिखी है। विज्ञापन तो 281 पदों के लिए निकाले गए थे लेकिन नियुक्ति केवल 166 लोगों की हुई थी। ऐसा आरोप है की जिन अभ्यर्थियों को कम अंक प्राप्त हुए थे उन्हें पास कर दिया गया और ज्यादा नंबर वाले फेल हो गए थे।
अब जब भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं तो मेवालाल चौधरी जी बुधवार शाम को मुख्यमंत्री आवास पहुंचकर श्री नीतीश कुमार से मुलाकात की और फिर अपना इस्तीफा सौंप दिया।
अब ये भी जान लीजिये की मेवालाल जी का क्या कहना है इस मुद्दे पर
हर नेता की तरह मेवालाल ने भी भ्रष्टाचार के आरोपों पर एकदम नेता-टाइप सफाई दी है। इस्तीफा देने के बाद मंत्रीजी, जिनके आगे अब ‘पूर्व’ लग चुका है, ने कहा की ‘कोई भी केस तब साबित होता है जब आपके खिलाफ कोई चार्जशीट हुई हो या कोर्ट ने कुछ फैसला किया हो। अब हमारे खिलाफ न तो कोई चार्जशीट हुई है और न ही कोई आरोप सिद्ध हुआ है।
खैर मेवालाल जी का जो भी कहना हो सच्चाई तो यह है की उनकी शिक्षा मंत्री वाली कुर्सी महज दो घंटे में ही खिसक गई है।