Friday, December 13
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क्यों मनाया जाता है छठ महापर्व? Chhathi Maiya Katha 2021. Chhath kyu manaya jata hai?

Chhath Puja is one of the most ancient festivals in Hindu Dharma. There are many answers to ‘why is Chhath Puja celebrated’. Chhath Puja kyu manaya jata hai. Chhath kyu manaya jata hai. Chhath Parv ka Itihas.

Jaaniye Chhath Parv kyon manaya jata hai

आस्था का महापर्व — छठ व्रत का बिहार से खासा लगाव है। हिंदू धर्मों के त्योहारों की जननी कही जाने वाली छठ पूजा को सिर्फ़ बिहार (Bihar) ही नहीं बल्कि उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh), झारखण्ड (Jharkhand), पश्चिम बंगाल (West Bengal) सहित पूरे देश में धूमधाम से मनाया जाता है। चार दिन तक चलने वाले इस महापर्व में भक्तजन सूर्य देव (Surya Dev) एवं छठी मईया (Chhathi Mata) की आराधना संतान के सुखी जीवन की कामना के लिए करते हैं।

साल में दो बार मनाया जाने वाला छठ सभी के अंतःकरण को शुद्ध कर देता है। का​र्तिक मास में होने वाला पर्व महीने के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को होती है। और चैत्र मास में भी इसकी तिथि शुक्ल पक्ष की षष्ठी को हाई होती है। 

छठ का ऐतिहासिक महत्व। (Chhath kyu manaya jata hai)

नहाय-खाय से लोहण्डा से संध्या अर्घ से उगते हुए भगवान सूर्य को अर्घ्य देने तक चलने वाले इस महापर्व का ऐतिहासिक महत्व अत्यंत ख़ास है। आइए जानते हैं छठ पूजा के पीछे की ऐतिहासिक कहानी। क्यों मनाया जाता है छठ महापर्व?

Chhath kyu manaya jata hai

is video me dekhiye Chhath kyu manaya jata hai? Chhath Puja kyon manaya jata hai?

कहा जाता है की छठ पूजा पौराणिक काल के राजा प्रियंवद (King Priyamvad) से जुड़ी है। राजा की कोई संतान नहीं थी इसलिए उन्होंने महर्षि कश्यप (Maharshi Kashyap) से पुत्र प्राप्ति के लिए यज्ञ करने का निवेदन किया। महर्षि ने यज्ञ के पश्चात प्रियंवद की पत्नी मालिनी को वो खीर खाने के लिए दी जो उन्होंने आहुति के लिए बनाई थी। कुछ दिन बाद मालिनी को संतान तो हुआ लेकिन वह पुत्र मरा हुआ था। इससे दुखी राजा प्रियंवद ने पुत्र वियोग में अपने प्राण त्यागने हेतु श्मशान पहुँचे। इसी समय ईश्वर की मानस पुत्री देवसेना (Devsena) प्रकट हुईं। जब राजा ने अपने प्राण त्यागने का कारण बताया तो देवसेना (Devsena) ने राजा को आशीर्वाद दिया।

देवसेना (Devsena) ब्रह्मांड की मूल प्रवृति के छठे अंश से उत्पन्न हुई हैं, अतः उन्हें षष्ठी (छठी) कहा जाता है। उन्होंने राजा को संतान प्राप्ति के लिए उनकी पूजा करने के लिए कहा। राजा प्रियंवद ने देवी षष्ठी का व्रत किया और उन्हें पुत्र की प्राप्ति हुई। चुकी राजा ने पूजा कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी को किया था इसलिए छठ पूजा हर साल इसी दिन को होती है।

महाभारत काल में छठ व्रत (Mahabharat kaal se Chhath kyu manaya jata hai)

कई इतिहासकार और धर्म के मानने वाले लोग यह भी कहते हैं कि छठ पर्व की शुरुआत महाभारत काल (Mahabharat kaal) में हुई थी। सर्वप्रथम इसकी शुरुआत सूर्यपुत्र कर्ण (Suryaputra Karn) ने सूर्य की आराधना करके की थी। महाबली कर्ण भगवान सूर्य के पुत्र और परम भक्त थे इसलिए वो प्रतिदिन कई घंटे कमर तक पानी में खड़े होकर सूर्य को अर्घ्य देते थे। कहा जाता है की भगवान सूर्य की कृपा से ही कर्ण एक अत्यंत प्रतिभाशाली योद्धा बने। महाभारत काल से आज तक, छठ पर्व में अर्घ्य दान की यही परंपरा चली आ रही है।

पांडवों से जुड़ी छठ पर्व के बारे में एक कथा ऐसी है कि जब पांडु-पुत्रों ने अपनी सारी धन संपत्ति और राजपाठ जुए में हार गए तब उनकी पत्नी द्रौपदी ने छठी माता (Chhathi Mata) का व्रत किया था। कहा जाता है की इसी व्रत के कारण, छठी मईया के आशीर्वाद से पांडवों को अपना राजपाट वापस मिला था।

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