Guru Gobind Singh Jayanti 2021: The last of the ten Sikh Gurus, Guru Gobind Singh was born on December 22, 1666 in Patna, Bihar. Guru Gobind Singh Jayanti in Bihar is celebrated with great enthusiasm as Patna Sahib — one of the five takhts (panj takht) is located in Bihar’s capital Patna.
The Ganga Times: आज गुरु गोबिन्द सिंह जी का प्रकाश पर्व (Guru Gobind Singh Jayanti) है। बिहार में प्रकाश पर्व मनाने का खासा प्रचलन रहा है चुकी गोबिन्द सिंह जी का जन्म बिहार की ही धरती पर 1666 ई में हुआ था। सिख धर्म के दसवें गुरु गोबिन्द सिंह जी (tenth guru of Sikh) बिहार में सभी धर्मों के लोगों के लिए आदर्श है। वो बिहार के पराक्रमी इतिहास का एक अहम् हिस्सा हैं। आज उनके जन्मदिवस पर, आइये जानते हैं उनसे जुड़ी बिहार की एक धार्मिक और ऐतिहासिक धरोहर के बारे में – तख़्त श्री पटना साहिब।
गुरु गोविंद सिंह जी बहुभाषाविद थे। वो फ़ारसी, अरबी, संस्कृत और अपनी मातृभाषा पंजाबी में विद्वान थे। सिक्ख क़ानून को सूत्रबद्ध करने में उनकी अहम् भूमिका थी। उन्होंने सिक्ख ग्रंथ ‘दसम ग्रंथ’ (Dasam Granth) लिखा और दुनिया में खूब ख्याति पाई।
क्यों इतना महत्वपूर्ण है पटना साहिब? (Importance of Patna Sahib – the birthplace of Guru Gobind Singh in Bihar)
तख़्त श्री पटना साहिब (Takht Sri Patna Sahib) दुनिया भर के सिक्खों के दिलों में एक अहम् स्थान रखता है। पटना शहर में स्थित यह गुरुद्वारा (Patna Gurudwara) सिख आस्था का एक ऐतिहासिक प्रतीक है। यहाँ सिखों के दसवें गुरु गोबिंद सिंह का जन्म हुआ था (birthplace of Guru Gobind Singh)। पटना साहिब महाराजा रणजीत सिंह, सिख साम्राज्य के प्रथम महाराजा, द्वारा बनवाया गया एक अत्यंत ही खूबसूरत गुरुद्वारा (Beautiful gurudwara) है जो अपनी स्थापत्य कला के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध है। आनंदपुर जाने से पहले गुरु गोबिंद सिंह के शुरुआती जीवन यहीं पर व्यतीत हुये थे। यह गुरुद्वारा सिखों के पाँच पवित्र तख्त (Panj Takht) में से एक है।
गुरु गोबिन्द सिंह जी की जन्म-कथा (Story of Guru Gobind Singh Jayanti in Bihar’s Patna)
पटना साहिब (Patna Sahib) को गुरु नानक देव तथा गुरु तेग बहादुर सिंह जी की पवित्र यात्राओं के लिए भी याद किया जाता है। कहा जाता है कि गुरु तेग बहादुर सिंह, गोबिन्द सिंह के पिताजी, जब बंगाल व असम की फ़ेरी ले रहे थे तो यहाँ सासाराम ओर गया के रस्ते आए थे। उनके साथ माता गुजरी जी ओर मामा किर्पाल दास जी भी थे। अपने परिवार को पटना में श्री सलिसराय जौहरी (Salis Rai Johri) का घर छोड़कर तेग बहादुर सिंह जी अपने दौरे पर आगे बढ़ गए। ग्रंथों के अनुसार पता चलता है कि सलिसराय जौहरी सिखों के प्रथम गुरु श्री गुरू नानक देव जी के भक्त थे।
जब गुरु तेग़ बहादुर सिंह (Guru Teg Bahadur Singh) असम फ़ेरी के लिए जा रहे थे तब माता गुर्जरी गर्भवती थीं। गुरु साहिब जी के जाने के बाद माता ने बाल गोबिंद को जन्म दिया था। यह खबर मिलने के वक़्त गुरू साहिब असम में थे। बचपन में गोबिंग सिंह को बाल गोबिंद राय (Bal Gobind Rai) के नाम से जाना जाता था। वो यहां छ्ह साल की आयु तक रहे। इस बीच कई लोग उनके दर्शन के लिए आते थे। इस जगह पर आज भी गुरु गोबिन्द सिंह जी के कई यादगार पलों की स्मृतियाँ मिल जाएँगी। माता गुजरी का कुआं (Matta da Khuh) आप आज भी यहाँ देख सकते हैं।
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