Why Israel wants to destroy Palestine? Why Israel wants Sheikh Jarrah in West Jerusalem? The article covers what led to violence in West Bank? Also, know why Israel attacked Al Aqsa Mosque?
वैसे तो मिडिल-ईस्ट हमेशा से ही संघर्षों का मजमुआ रहा है। चुकी इस क्षेत्र में तेल का प्रचंड भंडार है, दुनिया के शक्तिशाली देशों की नजर हमेशा ही यहाँ पे रहती है। फिर चाहे वो इराक हो या ईरान हो या सीरिया हो। फिर दूसरा मुद्दा आता है शिया सुन्नी का, जो मध्य पूर्व में टकराव का एक अहम् कारण है। लेकिन आज हम जिस मसले पर बात करेंगे वो शिया सुन्नी और तेल कूटनीति (Oil Diplomacy) से अलग है — इसराइल और फ़िलिस्तीन (Israel aur Falasteen) का मुद्दा जो सदियों से चला आ रहा है। और नजदीकी भविष्य में भी इसके सुलझने की कोई उम्मीद नजर नहीं आती। हम बात करेंगे उस वजह की जिसने सैंकड़ों सालों से चले आ रहे टकराव को नया रंग दे दिया और महामारी के बीच एक ऐसा घमासान शुरू कर दिया जो एक बड़े युद्ध का रूप ले सकती है।
6 मई को सैंकड़ों फ़िलिस्तीनी जेरुसलम में इसराइली सुप्रीम कोर्ट (Israeli Supreme Court) के एक आने वाले फैसले को लेकर प्रदर्शन करने लगे। इसराइली कोर्ट पूर्वी जेरूसलम के शेख जर्राह (Sheikh Jarrah) से फ़िलिस्तीन निवासियों को बेदखल करने पर फैसला देने वाला था। देखते ही देखते यह विरोध प्रदर्शन कट्टरपंथी यहूदी और फ़िलिस्तीनी प्रदर्शनकारियों के बीच हिंसक टकराव में बदल गया। इस हिंसा को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला एक महीने के लिए टाल दिया, जिससे फ़िलिस्तीनियों में डर और गुस्सा दोनों बढ़ गया। अगले दिन, यानी 7 मई को इसराइली पुलिस ने अल-अक्सा मस्जिद, जो कि इस्लाम धर्म का एक प्रमुख पवित्र स्थल है, के परिसर पर धावा बोल दिया।
हुआ यूँ कि 7 मई को रमजान के अंतिम जुम्मे (Last Jummah of Ramadan) कि नमाज़ के लिए करीब 70,000 लोग अल-अक्सा मस्जिद में जुटे। शाम की प्रार्थना के बाद कुछ फ़िलिस्तीनियों ने इसराइली पुलिस पर पत्थर फेंकने शुरू कर दिए। जवाब में, पुलिस ने मस्जिद परिसर में स्टन ग्रेनेड के गोले दागे. स्थानीय लोगों के अनुसार झड़प तब शुरू हुई जब इसराइली पुलिस (Israeli Police) परिसर को खाली करने की ज़बरदस्ती कोशिश करने लगे ताकि यहूदियों को प्रवेश मिल सके। अब आप सोच रहे होंगे को मस्जिद परिसर में यहूदियों को क्यों जाना था। तो आपको बता दें कि जहाँ ये मस्जिद मुसलमानों का तीसरा सबसे पवित्र जगह है, वही यहूदियों के लिए ये सबसे पवित्र स्थल माना जाता है। यहूदी इसे टेम्पल माउंट (Temple Mount) के नाम से जानते हैं। जेरूसलम के धार्मिक महत्व (religious importance of Jerusalem) के विषय पर हम किसी और दिन चर्चा करेंगे, फिलहाल हम अपने मुद्दे पर लौटते हैं।
Many Palestinians Killed in Police Firing in Al-aqsa Mosque
इसराइली पुलिस ने मस्जिद में घाव बोल दिया और फायरिंग में 300 से भी अधिक फ़िलिस्तीनी घायल हो गए, जिसकी अंतर्राष्ट्रीय बिरादरी में काफी निंदा हुई। अगले दिन, 8 मई को जेरूसलम में फिर से हिंसा हुई। शब-ए-क़द्र की उस रात को भी करीब 80 लोगों के घायल होने की खबर आई।
रविवार, 9 मई का दिन कमोबेश शांतिपूर्वक बीता। दुनिया भर के अनेकों शहरों में शांति मार्च निकाला गया। उस दिन अल अक्सा मस्जिद की साफ़ सफाई की गई। हालाँकि लोगों में जेरूसलम दिवस के दिन होने वाले कार्यक्रम को लेकर डर सत्ता रहा था। जेरूसलम दिवस 1967 के युद्ध में पूर्वी यरुशलम पर इजराइल के कब्जे की याद में मनाया जाता है। माना जा रहा था कि 10 मई को होने वाले इस कार्यक्रम के दौरान कट्टरपंथी यहूदी अल-अक्सा मस्जिद में घुसकर फ़िलिस्तीन विरोधी नारे लगाने की तैयारी कर रहे हैं। शहर में एक और हिंसा न भड़के, इसके लिए इजरायली सुरक्षा अधिकारियों ने धार्मिक और राजनीतिक नेताओं से किसी भी तरह के प्रदर्शन को बंद करने या टालने का अनुरोध करने लगे।
Violence Shifts to Gaza from West Bank
हालाँकि अगले दिन जेरूसलम दिवस पर होने वाले फ्लैग मार्च को रद्द कर दिया गया, इजराइल की सुरक्षा बल ने सुबह सुबह मस्जिद परिसर में फिर से धावा बोला। झड़प में 305 लोगों के घायल होने की खबर आई, जिसमें 4 की स्थिति काफी नाजुक है। शाम में एक बार फिर से इजरायली पुलिस ने मस्जिद के अंदर बलपूर्वक घुसकर आंसू गैस और साउंड ग्रेनेड दागे ताकि भीड़ को तीतर-बितर किया जा सके।
11 मई को यह विवाद जेरूसलम से चलकर ग़ज़ा पट्टी की ओर शिफ़्ट हो गई। ग़ज़ा को नियंत्रित करने वाले हमास ने 10 मई की शाम को इजराइल की ओर 150 रॉकेट्स दागे जिसमें कइयों के घायल होने की खबर आई। अगले दिन इजराइल की जवाबी कार्रवाई में ग़ज़ा की एक 13 मंजिला ‘हनादी टॉवर’ ढह गई। उस बिल्डिंग में रेजिडेंशियल परिवारों के साथ साथ कमर्शियल कार्यालय भी थे। हालाँकि इसरायली आर्मी का कहना है कि उस बिल्डिंग में हमास के अधिकारी काम करते थे। इसका जवाब हमास और फिलिस्तीनी इस्लामिक जिहाद ने इजराइल की राजधानी, तेल अवीव में 137 रॉकेट दागकर दिया।
12 मई को इजरायली वायु सेना ने ग़ज़ा पट्टी में स्थित हमास के दर्जनों पुलिस और सुरक्षा स्पॉट्स को नष्ट किया। इसी दिन ग़ज़ा से करीब 900 रॉकेट्स इजराइल की तरफ दागे गए। इजराइल और हमास के बीच हवाई फायरिंग
अगले दिन तक चलता रहा। इजराइल की तरफ से अब तक, 8 आम नागरिक, जिसमें से एक भारतीय और 2 अरब-इसरायली और 1 जवान मारे जा चुके हैं। 13 मई को मामले ने नया तूल पकड़ा जब लेबनान के अल-रशीदिया शरणार्थी शिविर से इजराइल की तरफ 3 रॉकेट दागे गए।
14 मई को इसरायली वायु सेना ने हमास के टनल नेटवर्क को नेस्तनाबूद कर दिया जिसमें हमास के दर्जनों कार्यकर्ताओं की मौत हो गई। वेस्ट बैंक में भी सुरक्षा बालों से झड़प में 14 फ़िलिस्तीनियों की मौत और 100 से ज्यादा लोगों के घायल होने की खबर आई।
हताहतों की संख्या की बात करें तो 14 मई तक ग़ज़ा पट्टी में 126 की मौत और 950 के घायल होने की सूचना मिली है। जबकि वेस्ट बैंक में 15 फ़िलिस्तीनियों की मौत और 500 से भी ज्यादा घायल हो चुके हैं। पूर्वी जेरूसलम में 1 अरब-इसरायली की मौत, 300 फ़िलिस्तीनी घायल और 23 प्रदर्शनकारी अरेस्ट हो चुके हैं।
दुनिया भर से तमाम नेताओं की प्रतिक्रियाएँ आ रही हैं। सबके सुर करीब करीब एक ही हैं — दोनों पक्षों को समझदारी से काम लेना चाहिए और हिंसा को रोक देना चाहिए। बस हिंसा रोकने की पहल कोई नहीं करना चाहता। सबका कहना है कि अंतर्राष्ट्रीय कानूनों का पालन हो लेकिन कोई भी ये नहीं बता रहा कि अंतर्राष्ट्रीय क़ानून क्या है। ना तो सुपर पॉवर अमेरिका और ना ही पूर्व सुपर पावर ब्रिटेन, जो की सारे फसाद की जड़ है। शायद कोई सच्चाई का आईना दिखाकर इजराइल से दुश्मनी मोल नहीं लेना चाहता।
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