Sunday, December 22
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Godi Media की जहालत, पक्षपात, चाटुकारिता ने पत्रकारिता की साख को ध्वस्त किया है: Farmers’ Protest

The way a large section of Indian Media has slandered the ongoing farmers protest, discredits its own image. The term ‘Godi Media’ becomes even more relevant after a series of consistent efforts by media outlets such as Aaj Tak, Zee News, Republic TV, Times Now, etc. to defame protestors with no substantial evidence.

जब भारत के अन्नदाता राजधानी दिल्ली और सटे इलाकों में पिछले दो हफ़्तों से नरेंद्र मोदी सरकार (Narendra Modi government) द्वारा लाये गए तीन कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हैं, मीडिया के एक वर्ग लगातार उनके खिलाफ आग उगल रहा है। खालिस्तान समर्थक (Khalistan supporters) , विदेशी कंपनियों द्वारा लाये गए भाड़े के टट्टू, देश विरोधी तत्व (anti-national elements) — देश की राष्ट्रीय मीडिया ने मेहनतकश किसानों के चरित्र हनन करने के लिए हर तरह के आग उगले। यही कारण है की कुछ मीडिया चैनलों के खिलाफ किसानों की नाराज़गी चरम सीमा छू चुकी है। रिपब्लिक टीवी (Republic TV), ज़ी न्यूज़ (Zee News), आजतक (Aaj Tak), टाइम्स नाउ (Times Now) सरीखी गोदी मीडिया (Godi Media) के चैनलों को देश का किसान सरकार की गोद में बैठे कुत्ते की तरह देखने लगा है।

बता दें की सरकार के कृषि कानूनों (Farm Laws 2020) को कॉरपोरेट्स और उद्योगपतियों के पक्ष में जाते हुए देखा जा रहा है। किसानों को यह भी डर है की इस कानून के लागू हो जाने के बाद कृषि क्षेत्र में बड़े पैमाने पर प्राइवेट कंपनियों का प्रवेश और बाद में दखलंदाजी शुरू हो जाएगी। हालाँकि सरकार का कहना है की ये तीनों कानून किसानों के पक्ष में है, प्रदर्शनकारी इस बात से संतुष्ट नहीं हैं। वास्तव में, मैं भी इस बात का समर्थक हूँ कि भारत सरकार के ये कृषि अधिनियम, कुछ अंशों को छोड़कर, खेती के क्षेत्र में क्रांति लाने का काम करेगी। परन्तु ये बात मुझे और आपको समझ आती है, ये मायने नहीं रखता; मायने ये रखता है कि जिनके लिए ये क़ानून बनाये गए हैं उनको इसकी कितनी जानकारी है। 

Courtesy: Newslaundry

किसानों की धारणा सरकार और अन्य लोगों से अलग हो सकती है, लेकिन सिर्फ इस बात के लिए समाज के एक बड़े वर्ग को अलग-अलग नाम देकर अपमानित करना कहाँ से उचित है ये तो मेरी समझ से परे है। एक लोकतान्त्रिक राष्ट्र में इस प्रकार के संकट को खत्म करने का सबसे अच्छा तरीका है किसानों की संतुष्टि के लिए समस्या का समाधान – आखिरकार, ये उनकी रोजी-रोटी का सवाल है। इस वक़्त मीडिया का काम (media’s responsibility) होना चाहिए सरकार और प्रदर्शनकारी किसानों के बीच एक माध्यम बनना। लेकिन इसके उलट, राष्ट्रीय मीडिया के एक बड़े तबके ने सरकार कि चमचागिरी करने के प्रयास में किसान आंदोलन को जिस तरह से अपमानित किया है वह सरकार के लिए और भी दिक्कतें पैदा कर रहा है। ठीक ऐसा ही NRC- CAA विरोधी आंदोलन के दौरान भी देखा गया था।

कुछ अपवादों को छोड़कर और मुख्य रूप से प्रिंट में, अधिकांश मीडिया ने पत्रकारिता धर्म को नष्ट करते हुए किसानों के विरोध को बदनाम करने और घृणा फैलाने में कोई कसार नहीं छोड़ी है। प्रदर्शनकारियों को खालिस्तानी, आतंकवादी और देशद्रोही के रूप में चित्रित कर गोदी मीडिया (Godi Media) ने झूठे आख्यानों को मुख्यधारा में लाने कि भी जद्दोजहद है। असीम समर्पण के साथ जी न्यूज के सुधीर चौधरी (Zee News Sudhir Chaudhary), रिपब्लिक टीवी के अर्नब गोस्वामी (Republic TV’a Arnab Goswami) सहित अन्य ‘तथाकथित’ पत्रकारों ने पंजाबियों और पंजाब के किसानों के बारे में गलत धारणाओं और पूर्वाग्रहों को फैलाकर झूठ-तंत्र को मजबूत करने में योगदान दिया है।

छद्म मीडिया (Manipulated Media or Godi Media) द्वारा जहरीली और वाहियात किस्सों कि लम्बी फेहरिस्त में निम्न प्रमुख हैं: सिर्फ पंजाब के किसान ही विरोध कर रहे हैं; विरोध करने वाले किसान नहीं लगते; वे अमीर और जींस पहनने वाले हैं; प्रदर्शनकारी मुख्य रूप से समृद्ध किसान हैं जो अपने खेतों को छोड़ने का जोखिम उठा सकते हैं; प्रदर्शनकारियों के खालिस्तानियों से संबंध हैं, प्रदर्शन कि फंडिंग आतंकवादी संगठनों द्वारा कि जा रही है। ऐसे बेवकूफी भरे आख्यानों ने मीडिया की साख को बहुत नुकसान पहुंचाया है। स्वतंत्र भारत के इतिहास में शायद ही कभी ऐसा आंदोलन हुआ हो जिसमें आंदोलनकारी मीडिया से बात ही ना करना चाह रहे हो। शायद ही कभी ऐसा हुआ होगा जब प्रदर्शनकारियों ने ‘गोदी मीडिया’ (Godi Media) के खिलाफ नारे लगाकर किसी चैनल के रिपोर्टर को भगा दिया हो।

Godi Media के खिलाफ अविश्वसनीयता कि ऐसी लहर मैंने दुनिया के किसी लोकतंत्र में न तो देखा है और न ही सुना है। देश-विदेश के प्रमुख न्यूज संस्थाओं द्वारा भारत के राष्ट्रीय मीडिया कि थू-थू हो रही है। देश के एक बड़े तबके को लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ पर भरोसा नहीं है। लोग मीडिया को सरकार का कुत्ता मान कर दुत्कार रहे हैं। ऐसी बातें हमें एक मजबूत राष्ट्र और परिपक्व लोकतंत्र के रूप में उभरने कि राह में रोड़ा पैदा करती हैं।

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1 Comment

  • samir sardana

    The Farmers have to understand some simple things !

    GOI is bankrupt !
    They will NOT pay MSP for any crop
    The GOI staffing will be CUT by 50% in the next 5 years
    Even Internal Security like CRPF … will be CUT (Like with the Blackwater Model)
    AI and Nano will make farmers OBSOLETE as 5 nations in Africa will be able to feed the world
    All Farm Subsidies will BE CUT – by MAKING FARMING UNVIABLE
    GOI and Bania need land – so by MAKING FARMING UNVIABLE – large land tracts will be freed and land rates will fall
    GOI and Bania need WATER – (as China and Pakistan will take over KASHMIR AND SO INDIA WILL HAVE NO WATER IN THE WEST AND CHINA WILL BLOCK THE BRAHMAPUTRA IN THE EAST)
    Industry and IT and services and the Middle class trash need gazillion litres of water – which will COME BY KILLING AGRICULTURE !
    Then the GOI will use the Israelis to destroy Indian Farming by a Man made virus to kill the crops and also to kill off the farmers ( so the virus will be customised to the weedicides …etc used by the farmers)

    GOI feels FARMERS ARE A DEAD WEIGHT AND A BURDEN ! dindooohindoo

    Basically all FARMERS IN THE WORLD WILL BE OBSOLETE – But they will be aborbed – BUT IN INDIA 800 MILLION PEOPLE CANNOT BE ABSORBED

    So,if Rice is sold by FARMERS at 10/kg and the user pays Rs 100/kg,THERE IS ONLY 1 OPTION !

    KILL THE BANIA,MARWARI,GUJARATI,JAIN.KAYASTHA FILTH ! They are the shopkeepers and the marketing supply chain.THERE IS NO OTHER WAY.

    If u raise the MSP for farmers ,the agri processing and retail and entertainment sector will die – and they PAY LARGE INDIRECT AND DIRECT TAXES TO THE GOI !

    QED !

    So,KILL the BANIAS and PARTITION INDIA – as the farmers NEED A COMMUNIST NATION ! THE INDIAN MEDIA IS OWNED AND RUN BY BANIAS AND BRAHMINS !

    These banias are English illiterate,and a race of liars,thieves and cheats – a race of pure Indians,id.est., they are not Rig Vedic invaders.They have atypical Indian features,and are easily identifiable.

    They sold their women for money,and so they could sell their editorials for doles from the GOI.dindooohindoo

    What is the Bania filth (Marwari-Gujarati-Kayastha ).

    It is the Bania filth who worked as spies for each invader into Hindoosthan ! They also funded the wars of the Mughals and Sakas and Huns. There is not one 1 record in history of them having stood up for anything ! They sold their women to the invaders

    The Birlas,Goenkas,Bajajs and other bania filth built their empire by sending their women to Nehru for his peccadilos.They also funded Ambedkar in London – result that – Ambedkar spoke not one word against the Bania vermin !

    95% of the NPA and Bank Frauds in North India upto the borders of the Vindhyas are on account of Bania vermin ! No one talks of the said statistic as every media house is owned and managed by banias or has 75% of the advert revenue from Banias

    To hide all of the above and their history,the bania media owners are now,paragons of ethics,morality, JINGOISM,PATRIOTISM, NATIONALISM and democracy.These rats who did not shed their urine, in a single war of the Hindoo nation,since the war of “Bharata”,are exhorting Indians to die for the natoon,and also,exhorting the dubious courage of foolish Indian soldiers from poor,backward and destitute families. (who are getting slaughtered in Galwan or Kashmir)

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