Monday, December 23
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शरिया क़ानून क्या है? Sharia Kanoon kya hai? What is Shariat in Hindi?

Shariat is a set of islamic laws that is derived from the religious fundamentals of Islam — particularly the Quran and the Hadith. What is Sharia Kanoon kya hai? What is Shariat kya hai? Muslim kanoon ko kya kahte hain? Sharia ka kya matlab hai? Taliban ka sharia kya kahta hai? Know about Sharia Kanoon in Hindi.

Shariat kanoon kya hai? What is shariat?
Sharia kanoon derived from Quran teachings. Sharia Kanoon in Hindi (Courtesy: MPR News)

जब से अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान का कब्जा हुआ है शरीयत या शरिया क़ानून (Sharia or Sharia Kanoon) का बड़ा जिक्र हो रहा है। दुनिया भर के न्यूज चैनल्स और विशेषज्ञों का मानना है कि तालिबान का शरिया क़ानून बड़ा ही खतरनाक होता है इसलिए इनका राज महिलाओं के लिए भयावह साबित होने वाला है। हाल ही में तालिबान ने अपनी पहली प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था कि हम शरिया कानून (Sharia law) के तहत महिलाओं के हक तय करेंगे। जिससे साफ़ हो जाता है कि अफ़ग़ानिस्तान में इसी दकियानूसी और मानवाधिकार विरोधी क़ानून का राज चलने वाला है।

आज हम इसी शरिया कानून के बारे में चर्चा करेंगे और समझेंगे कि आखिर ये है क्या और क्यों इसकी दुनिया भर में आलोचना होती है। (Sharia Kanoon kya hai?)

शरिया शब्द का मतलब (Meaning of Sharia ka kya matlab hai?)

‘शरिया’ अरबी भाषा का एक शब्द है जिसका शाब्दिक अर्थ है ‘अनुसरण किया जाने वाला मार्ग’। इस्लाम धर्म के मानने वालों के लिए शरीयत इस्लामिक समाज में रहने के तौर-तरीकों, नियमों और कायदों को बताता है। दूसरे शब्दों में कहे तो शरीयत इस्लामिक कानूनी व्यवस्था है, जिसे कुरान, हदीस और इस्लामी विद्वानों के उपदेशों को मिलाकर तैयार किया गया है। इस्लामी न्यायशास्त्र का पारंपरिक सिद्धांत शरिया के चार स्रोतों को मान्यता देता है: कुरान, सुन्नत, क़ियास, और इज्मा।

Shariyat ya Sharia Kanoon kya hai?

इस्लामिक विद्वानों की माने तो शरिया कानून जीवन जीने का रास्ता बताता है और सभी मुसलमानों से इसका पालन करने की उम्मीद की जाती है। शरीयत में बताया गया है कि एक मुसलमान का दैनिक जीवन कैसा होना चाहिए — उसे कब क्या करना है और क्या नहीं करना है। किसी समस्या या विवाद के दौरान एक मुसलमान शरीयत की मदद ले सकता है। इसके अलावा शरिया क़ानून जीवन के अन्य क्षेत्रों में भी मुसलमानों को मार्गदर्शन प्रदान करता है। शरीयत में करीब करीब जीवन के हर पहलुओं से जुड़े कानूनों का वर्णन है जैसे पारिवारिक, सामाजिक, वित्तीय, व्यावसायिक, इत्यादि।

शरिया कानूनों को लेकर दुनियाभर में इतना विवाद क्यों है?

शरिया कानूनों को दुनियाभर में संदेह की नज़रों से देखा जाता है क्योंकि इसमें औरतों, गैर-मुस्लिमों, और गुलामों के लिए कई प्रकार के प्रतिबंधों की व्याख्या की गई है। पारंपरिक इस्लामी कानून के अनुसार एक समाज को पितृसत्तात्मक होना चाहिए जिसमें महिलाओं को पुरुषों की तुलना में काफी कम अधिकार दिए गए हैं। इस्लामिक समाज पर महिलाओं को ज़बरदस्ती पर्दे में और शिक्षा से दूर रखने का भी आरोप लगता है।

जब तालिबान पिछली दफा (1996-2001) सत्ता में था तो लड़कियों को स्कूल नहीं जाने दिया जाता था। इस्लामिक सत्ता में गैर-मुस्लिमों को कई प्रकार के कानूनी असमानताओं, जैसे जजिया कर का सामना करना पड़ता है। शरीयत के अनुसार ईश-निंदा, वेश्यावृत्ति, समलैंगिक संभोग, धर्मान्तरण आदि को जघन्य अपराध की श्रेणी में रखा गया है तथा इसके लिए फांसी से लेकर कोड़े की मार तक की सजा का प्रावधान है। परंपरागत इस्लामी कानून के तहत, मुस्लिम पुरुष बंदियों और गुलाम औरतों के साथ यौन संबंध बना सकते थे।
वर्तमान समय में तालिबान जैसे कई कट्टरपंथी गुट इन कानूनों की व्याख्या बड़े खतरनाक तरीके से करते हैं जो आज के मानवाधिकार के प्रति जागरूक समाज के दिल को दहला देता है

कुरान में महिलाओं के बारे में क्या कहा गया है? (Quran me Mahilaon ke bare me kya kaha gaya hai? Women in Quran!)

हालाँकि तमाम मुस्लिम देशों में महिलाओं को पुरुषों से निम्न स्तर का समझा जाता है, लेकिन दिलचस्प बात ये है कि क़ुरान में इस तरह की कोई बात नहीं की गई है। कुरान और सुन्नत में महिलाओं और पुरुषों को शिक्षा के सामान अधिकारों की वकालत की गई है। महिलाओं के खिलाफ होने वाले घरेलु हिंसा को भी कुरान में पाप माना गया है। ठीक ऐसे ही सामान अधिकार रोज़गार के क्षेत्र में दिए गए हैं।

तो फिर सवाल उठता है कि आज के ज्यादातर इस्लामिक देशों जैसे सऊदी अरब, अफ़ग़ानिस्तान, ईरान, इराक, यमन, सूडान आदि में महिलाओं को तुच्छ क्यों समझा जाता है? वो इसलिए क्योंकि ज्यादातर मुस्लिम देश कुरान और सुन्नत की व्याख्या बहुत ही रूढ़िवादी तरीके से करते हैं। तुर्की और इंडोनेशिया गिनती के कुछ देशों में आते हैं जहाँ शरीयत की व्याख्या आज के समाज के अनुरूप की जाती है।

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