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ट्रेजेडी किंग दिलीप कुमार, जिन्होंने अपनी अदाकारी से सबका दिल जीता

भारतीय सिनेमा में अपनी अदाकारी से सभी को रुला देने वाले ‘‘ट्रेजडी किंग” के नाम से मशहूर बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता दिलीप कुमार 98 वर्ष की आयु में बुधवार 07 जुलाई को दुनिया से अलविदा कह गए। उन्होंने मुंबई के हिंदुजा हॉस्पिटल में अंतिम सांस ली। दिलीप कुमार की तबियत लंबे समय से खराब चल रही थी।
हिंदी सिनेमा के इतिहास में कई बेहतरीन कलाकार आए और चले गए। परंतु दिलीप कुमार जैसे एक कलाकार ऐसे भी आए जिन्होंने फिल्म इंडस्ट्री का चेहरा बदल दिया। दिलीप कुमार की अदाकारी से अभिनय की नई परिभाषा का जन्म हुआ। इस महान शख्सियत ने यह साबित कर दिया की “सुपरस्टार” भी किसी को कहा जा सकता है।
दादासाहेब फालके अवॉर्ड” से सम्मानित दिलीप कुमार का जन्म 11 दिसंबर 1922 को पाकिस्तान के पेशावर में हुआ था। उनके बचपन का नाम ‘मोहम्मद युसूफ खान था। उनके पिता का नाम लाला गुलाम सरवर था जो फल बेचकर अपने परिवार का खर्च चलाते थे। विभाजन के दौरान उनका परिवार मुंबई आकर बस गया। उनका शुरुआती जीवन तंगहाली में ही गुजरा। पिता के व्यापार में घाटा होने के कारण वह पुणे की एक कैंटीन में काम करने लगे थे।

यूसुफ खान से दिलीप कुमार बनने का सफर

फिल्म इंडस्ट्री में आने का मौका उनके भाग्य ने 1943 में दिया जहां चर्चगेट स्टेशन में इनकी मुलाकात डॉ मसानी से हुई, जिन्होंने उन्हें बॉम्बे टॉकीज में काम करने का ऑफर दिया। इसके बाद उनकी मुलाकात बॉम्बे टॉकीज की मालकिन वा लोकप्रिय अदाकारा देविका रानी से हुई, जिनके साथ उन्होंने 1250 रूपए सालाना का अग्रीमेंट कर लिया। यहाँ महान अभिनेता अशोक कुमार जी से इनका परिचय हुआ, जो दिलीप जी की एक्टिंग से बहुत मोहित हुए। शुरुआत में दिलीप जी कहानी व स्क्रिप्ट लेखन में मदद किया करते थे, क्योंकि उर्दू व हिंदी भाषा में इनकी अच्छी पकड़ थी। देविका रानी के कहने पर ही दिलीप जी ने अपना नाम युसूफ से दिलीप रखा था। जिसके बाद 1944 में उन्हें फिल्म में लीड एक्टर का रोल मिला, हालांकि यह फिल्म फ्लॉप रही लेकिन इसके जरिये दिलीप जी की सिनेमा मे एंट्री हो चुकी थी।

अपनी पहली फिल्म के बाद दिलीप जी ने जुगनू नामक फिल्म में काम किया, जो बड़े पर्दे पर सुपरहिट हुई। जिसके बाद वे रातो रात स्टार बन गए, इनके पास फिल्मों के ऑफर्स की लाइन लग गई। 1949 में दिलीप जी को राज कपूर व नर्गिस के साथ अंदाज फिल्म में काम करने का मौका मिला, यह फिल्म उस समय की सबसे ज्यादा कमाने वाली फिल्म बन गई।1950 का दशक हिंदी सिनेमा के लिए बहुत उपयोगी साबित हुआ। इसी समय दिलीप जी की ट्रेजडी किंग की छवि धीरे धीरे लोगों के सामने उभरकर आने लगी थी। जोगन, दीदार व दाग जैसी फिल्मों के बाद से ही लोग इन्हें ट्रेजडी किंग बोलने लगे थे। दाग फिल्म के लिए इन्हें पहली बार फिल्मफेयर बेस्ट एक्टर अवार्ड भी मिला।
इसके बाद देवदास जैसी महान फिल्म दिलीप जी ने मशहूर अदाकारा वैजयंतिमाला व सुचित्रा सेन के साथ की थी। शराबी लवर का ये रोल दिलीप जी ने बड़े ही शिद्दत से निभाया था। जिसमें सभी ने उन्हें ट्रेजिक लवर का ख़िताब दिया था। ट्रेजडी रोल के अलावा दिलीप जी ने कुछ कॉमेडी रोल भी किये थे, आन व आजाद जैसी फिल्मों में उन्होंने कॉमेडी भी की थी। 50 के दशक में स्टार के तौर पर स्थापित होने के बाद दिलीप जी ने 1960 में कोहिनूर फिल्म की जिसमें उन्हें फिल्म फिल्मफेयर अवार्ड मिला. 60 के दशक में अपने भाई नासिर खान के साथ गंगा जमुना सरस्वती नामक फिल्म में काम किया, हालांकि यह फिल्म बड़े पर्दे पर असफल रही, परंतु इसने दिलीप जी की इमेज पर कोई बुरा प्रभाव नहीं डाला।

लगभग 2 दशक तक सिनेमा में राज करने के बाद 70 के दशक में जब अमिताभ बच्चन और राजेश खन्ना जैसे कलाकारो की एंट्री हिन्दी सिनेमा में हुई, तो इन्हे फिल्मों के ऑफर मिलना कम हो गए थे। इस समय दिलीप जी की जो फिल्में आई वो भी असफल रही। इसके बाद दिलीप जी ने 5 सालों तक का लम्बा ब्रेक ले लिया और 1981 में मल्टी स्टारर ‘क्रांति’ फिल्म से धमाकेदार वापसी की। इसके बाद से दिलीप साहब ने अपनी उम्र के हिसाब से रोल का चुनाव किया, वे परिवार के बड़े या पुलिस वाले के रोल लेने लगे। दिलीप जी की आखिरी बड़ी हिट फिल्म रही 1991 की फिल्म ‘सौदागर’। दिलीप जी आखिरी बार 1998 में फिल्म ‘किला’ में नजर आये और इसके बाद इन्होने अभिनेता के रूप में फिल्म इंडस्ट्री से सन्यास ले लिया।

ट्रेजेडी किंग की लव लाइफ

अगर बात करे उनके निजी जिंदगी की तो दिलीप साहब का पहला प्यार “मधुबाला” थी। इन दोनों की लव स्टोरी 7 साल तक चली। लेकिन फिर एक समय ऐसा भी आया जब सेट पर दोनों साथ होते हुए भी आपस में बात नहीं किया करते थे। जिसके बाद साल 1966 में उन्होंने फिल्म इंडस्ट्री की बेहद खूबसूरत और मशहूर अदाकारा सायरा जी से निकाह किया। इन दोनों के बीच उम्र का अंतर उस समय चर्चा का विषय बना। क्योंकि उस वक्त सायरा बानो की उम्र महज 22 वर्ष और दिलीप साहब 44 वर्ष के थे।
इतने प्यार के बावजूद भी इंडस्ट्री के इस ट्रेजेडी किंग ने बच्चे की चाह में दौबारा ब्याह रचाया। उनकी यह शादी आसमा रहमान जी के साथ 1980 में हुई थी, परंतु उनका यह विवाह केवल 2 वर्ष चल पाया और दोनों अलग हो गए।

दिलीप साहब को मिले सम्मान

फिल्म इंडस्ट्री को महत्वपूर्ण योगदान देने वाले दिलीप साहब को भारत सरकार ने 1991 में “पद्मश्री” से सम्मानित किया और 2015 में पद्म विभूषण से नवाजा गया। आठ बार फिल्म फेयर अवार्ड जीतने वाले दिलीप साहब को फिल्म फेयर द्वारा 1993 में “लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड” से भी नवाजा गया। उसके बाद 1994 में उन्हें “दादा साहेब फाल्के अवार्ड” मिला जिसने दिलीप साहब पर चार चांद लगा दिए। “दादा साहेब फाल्के अवार्ड” फिल्म इंडस्ट्री का सबसे बड़ा अवार्ड माना जाता है और इसी साल पाकिस्तान ने अपने देश का सबसे बड़ा नागरिक पुरस्कार “निशाने इम्तियाज” से दिलीप साहब को सम्मानित किया। साल 2000 से 2006 तक दिलीप जी संसद के सदस्य रहे, वे एक बहुत अच्छे सामाजिक कार्यकर्ता है, जो हमेशा जरूरतमंदो की मदद के लिए आगे रहे है।

अलविदा..! दिलीप साहब
भारत और पाकिस्तान के बीच कुछ इस रिश्ता बना दिया गया है की एक की खुशी दूसरे के गम का कारण बन जाती है लेकिन दिलीप जी हमेशा से पाकिस्तान व भारत के लोगों को जोड़ना चाहते थे उन्होंने इसके लिए बहुत से कार्य भी किये। आज जब हिंदुस्तान में दिलीप साहब के निधन पर भारत में गम छाया हुआ है तो पाकिस्तान में भी युशुफ खान के जाने का अफसोस किया जा रहा है। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान समेत विभिन्न राजनीतिक हस्तियों ने बुधवार को फिल्म अभिनेता दिलीप कुमार के निधन पर शोक जताया। किसी ने उनके निधन को ‘‘एक युग का अंत’’ बताया तो किसी ने सांस्कृतिक दुनिया को एक बड़ा नुकसान करार दिया।

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