बिहार में इन दिनों जातियों के बीच राजनीति में तीव्र गति हो रही है। बिहार सरकार ने जातियों की गणना और आरक्षण सीमा में वृद्धि करके 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए बैठक का आयोजन किया है। इस समय, ‘मंडल-कमंडल’ राजनीति पर फिर से बहस शुरू हो गई है, जो दो दशकों के बाद हो रही है। इस मामले में, लालू यादव की पार्टी, आरजेडी, एक सर्वे कर रही है, जिससे राजनीतिक विवादों की नई बहस का आरंभ हो रहा है। आरजेडी का यह सर्वे बता रहा है कि जनता कैसे आरक्षण पर नजर रख रही है।
नेटवर्क 18 की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इस सर्वे का पूरा होने के बाद कुछ दिनों में रिपोर्ट सौंपी जाएगी। इस सर्वे में दो स्तरों पर जाँच की जा रही है, जिसमें स्वतंत्र एजेंसी को जिम्मा दिया गया है। इस सर्वे के माध्यम से पार्टी यह जानने का प्रयास कर रही है कि वह जिस सीट पर कितनी मजबूती से है, खासकर उन सीटों पर जहां पहले से ही पार्टी का बड़ा वोट बैंक है। दूसरे स्तर पर, यह सर्वे पार्टी के नेताओं द्वारा जिला स्तर पर किया जा रहा है।
आरक्षण बढ़ाने के निर्णय पर पार्टी जनता से प्रतिक्रिया ले रही है और यह जानना चाहती है कि जनता इस निर्णय को कैसे देख रही है। इसके अलावा, पार्टी गरीब सवर्णों को मिलने वाले 10 फीसदी आरक्षण पर भी सर्वे कर रही है। आरजेडी के सूत्रों के अनुसार, पार्टी नेतृत्व जानना चाहता है कि गरीब सवर्णों को आरक्षण से कितना लाभ हो रहा है। जातियों की जाँच में, सामान्य वर्ग में भी गरीब परिवारों की संख्या में वृद्धि हुई है और इस परिवारों को सरकारी योजनाओं का कितना लाभ हो रहा है, इस पर भी रिपोर्ट तैयार की जा रही है।
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