In the midst of the second COVID-19 wave, Oxygen shortage in Bihar has started making news. There have been complaints of oxygen shortage at hospitals in Gaya, Bhagalpur and Muzaffarpur.
The Ganga Times, Bihar: बिहार के स्वास्थ्य विभाग की स्थिति किसी से छिपी नहीं है। हालात ऐसे हो चुके हैं कि राज्य के कई निजी अस्पतालों में ऑक्सीजन की आपूर्ति नहीं हो पा रही है। खैर, जब ऑक्सीजन दिल्ली में कम पड़ रहा हो फिर बिहार की तो बात ही मत पूछो। राज्य में कोरोना के आंकड़ों (COVID-19 in Bihar) पर प्रकाश डालें तो पिछले 20 दिनों में सक्रिय मामले 500 से 40,000 को छू चुका है। राज्य के प्रमुख अस्पतालों जैसे एम्स पटना (AIIMS Patna), इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान (IGIMS) और पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल में आईसीयू बेड फुल हो चुके हैं। वैसे तो 30 से अधिक निजी अस्पताल कोरोना के रोगियों का इलाज कर रहे हैं, लेकिन राज्य में 3,500 से भी कम इमरजेंसी बेड्स हैं। कुल जमा बात ऐसी है कि बिहार का हेल्थ सिस्टम वेंटिलेटर पर तड़प रहा है।
इसी बीच नालंदा मेडिकल कॉलेज और अस्पताल (Nalanda Medical College and hospital) के निदेशक ने स्वास्थ्य सचिव से अब अनुरोध किया है कि उन्हें अपनी जिम्मेदारियों से मुक्त कर दिया जाए। वो ऐसा इसलिए कह रहे हैं क्योंकि ऑक्सीजन की आपूर्ति हो नहीं पा रही है और यदि कोई मरीज की जान जाती है तो उन्हें ही जिम्मेदार माना जाएगा। एक डॉक्टर के इस डर से आप अंदाजा लगा सकते हैं कि बिहार का स्वास्थ्य तंत्र किस जर्जर स्थिति में है।
गया, भागलपुर, और मुजफ्फरपुर में ऑक्सीजन की कमी पहले ही दर्ज कि जा चुकी है। (Oxygen shortage in Gaya, Bhagalpur and Muzaffarpur)
NMCH director wants to quit from his post over Oxygen shortage in Bihar
उस वक़्त जब बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे (Bihar H) सरकारी और निजी अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी की रिपोर्ट को झूठा बताने में लगे हैं, NMCH के चिकित्सा अधीक्षक डॉ विनोद कुमार सिंह ऑक्सीजन शॉर्टेज को लेकर चिंतित हैं। उन्होंने 17 अप्रैल को प्रमुख सचिव (स्वास्थ्य) को लिखे पत्र में लिखा, “मैं 21 जुलाई, 2020 से लगातार अपने कर्तव्य का निर्वहन कर रहा हूँ, परन्तु विगत कुछ दिनों से प्रशासन द्वारा नालंदा चिकित्सा महाविद्यालय अस्पताल, पटना में ऑक्सीजन आपूर्तिकर्ता के भण्डार पर नियंत्रण कर ऑक्सीजन सिलेंडर को दूसरे अस्पताल में भेजे जाने के कारण इस संस्थान में ऑक्सीजन की काफी कमी आ रही है।”
डॉ सिंह आगे लिखते हैं कि मेरे प्रयासों के बावजूद ऑक्सीजन आपूर्ति में बाधा आ रही है जिससे दर्जनों मरीजों कि जान जाने कि संभावना बानी रहती है। “मैं सशंकित हूँ कि ऑक्सीजन की कमी से मरीजों की मृत्यु के पश्चात इसकी साड़ी जिम्मेदारी अधीक्षक पर आरोप गठित करते हुए कार्यवाही कि जाएगी। अतः समय रहते मुझे इस पड़ से तत्काल प्रभाव से मुक्त किया जाये।” हालांकि, इस मामले में राज्य सरकार के आश्वासन के बाद डॉ सिंह NMCH चिकित्सा अधीक्षक के पड़ पर बने हुए हैं।
Oxygen shortage in Bihar: Tejashwi Yadav attacks Nitish Government
इस पत्र के बाहर आते ही नेता प्रतिपक्ष (Bihar leader of opposition Tejashwi Yadav) ने सरकार पर हमला बोल दिया। ट्वीट के माध्यम से तेजस्वी ने बिहार सरकार को घेराते हुए कहा कि यह है नीतीश कुमार का छद्म विकास। “नालंदा मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के अधीक्षक ने ऑक्सीजन की कमी को लेकर अपने कार्य प्रभार से मुक्त करने का अनुरोध किया है। आप बस स्थिति की कल्पना कीजिए। 16 वर्षों के मुख्यमंत्री से सवाल जवाब करना मना है। वह 16 क्या 1600 वर्ष मुख्यमंत्री रहेंगे तब भी अपनी गलती नहीं मानेंगे।”
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अब कुछ एक्टिव दिखाई दे रहे हैं और राज्य में कोरोना की स्थिति पर लगातार नजर बनाये हुए हैं। उनके स्पष्ट निर्देशों के बावजूद, कई निजी अस्पतालों ऑक्सीजन की कमी का हवाला देते हुए इलाज से इनकार कर रहे हैं। अब एक्टिव कितना भी रहें लेकिन सवाल तो उठता ही है न कि पिछले एक साल में उन्होंने बिहार के हेल्थ सिस्टम को कितना मजबूत किया है। ऐसी परिस्थिति क्यों आ रही है की राज्य के चिकित्सक भी तंत्र से सुरक्षित नजर नहीं आ रहे हैं?
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