Friday, March 29
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Tag: Mahatma Gandhi Assassination

हमारे, आपके सबके गाँधी

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गांधी जी अपने समकालीन राष्ट्रवादियों से बिल्कुल भिन्न थे। वो हमेशा ज़मीन से जुड़ कर मुद्दों पर बात करते थे। कहने को तो 30 जनवरी का दिन भी बाकी दिनों की तरह ही है। लेकिन ये दिन भारत के इतिहास की सबसे शर्मनाक और दुखद तारीख के रूप में याद किया जाता है। आज ही के दिन हमारे पूज्य बापू को हत्यारे गोडसे ने हमसे छीन लिया था। आज राष्ट्रपिता की पुण्यतिथि को हम शहीद दिवस के रूप में मनाकर, उनके अहिंसावादी और राष्ट्रप्रेम के विचारों को याद करते हैं। ‌महात्मा गांधी का पूरा नाम 'मोहनदास करमचंद गांधी' था। लोग उन्हें प्यार से बापू बुलाते थे। गांधी जी की आरंभिक शिक्षा गुजरात में संपन्न हुई। प्रारंभिक शिक्षा राजकोट से पूरा करने के उपरांत गाँधी जी वकालत की पढ़ाई के लिए लंदन चले गए। 1893 से 1914 तक वो दक्षिण अफ़्रीका में रहे जहाँ उन्होंने अपने राजनीतिक विचारों, नैतिकता और राजनीति को विकसित किया। 1915 ...
गाँधी, गोडसे और हत्या: यथार्थ की जद में

गाँधी, गोडसे और हत्या: यथार्थ की जद में

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गांधी की हत्या के सम्बन्ध में नाथूराम गोडसे ने कोर्ट में कई तर्कों के साथ रखा था अपना पक्ष। उन सभी तर्कों का यथार्थ से कितना वास्ता है? सच और झूठ में एक बुनियादी फर्क है। झूठ कल्पनाओं का परिणाम है, इसीलिए वह रोमांचित करता है। सच चूँकि तथ्य होता है इसलिए नीरसता और उब पैदा करता है। झूठ के आकर्षण को देखते हुए वॉट्सएप युग से भी बहुत पहले मार्क ट्वैन (Mark Twain) ने झूठ के तारीफ़ में कहा था, "जब तक सच अपना जूता पहनता है, झूठ पूरी दुनिया की परिक्रमा कर आता है।" झूठ के इस सच्चे तारीफ़ से आप झूठ की हैसियत का अंदाज़ा लगा सकते हैं। लेकिन, झूठ के इस हैसियत को नकारते हुए गांधी ने सत्य को चुना। गांधी का सत्य हमारा सत्य नहीं था। वो नीरस नहीं, सरस था। चलिए एक वाक्या से शुरू करते हैं। उन दिनों गाँधी दूसरे गोलमेज सम्मेलन (2nd Round Table Conference) के लिए लंदन में थे। जब उन्हें किंग जॉर्ज पंचम ...