Friday, November 22
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Mahatma Gandhi Central University, MCU Bhopal और Sanchi Univ के बीच साइन किये गए कई महत्वपूर्ण MoUs

Mahatma Gandhi Central University, MCU Bhopal और Sanchi Univ के बीच साइन किये गए कई महत्वपूर्ण MoUs

Latest News, Bihar, Education, Madhya Pradesh
Mahatma Gandhi Central University, Motihari signed Memorandum of Understanding (MOU) with Sanchi University of Buddhist-Indic Studies and Makhanlal Chaturvedi National University of Journalism and Communication. Thanks to this MOU, the two universities will collaborate with the Central University in the field of academic and research. Vice Chancellor of Mahatma Gandhi Central University, Motihari - Prof Sanjeev Kumar Sharma signing MoUs with Sanchi University Vice Chancellor - Neerja Gupta and Makhanlal Chaturvedi University Vice Chancellor - Prof KG Suresh The Ganga Times, Bhopal/Motihari: महात्मा गांधी केन्द्रीय विश्वविद्यालय, मोतिहारी (MGCU Motihari), बिहार ने सार्थक एडुविजन नेशनल एक्सपो (Edu Vision Bhopal) के दौरान मध्य प्रदेश के दो ख्यात विश्वविद्यालयों, माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट...
हमारे, आपके सबके गाँधी

हमारे, आपके सबके गाँधी

Latest News, Opinion
गांधी जी अपने समकालीन राष्ट्रवादियों से बिल्कुल भिन्न थे। वो हमेशा ज़मीन से जुड़ कर मुद्दों पर बात करते थे। कहने को तो 30 जनवरी का दिन भी बाकी दिनों की तरह ही है। लेकिन ये दिन भारत के इतिहास की सबसे शर्मनाक और दुखद तारीख के रूप में याद किया जाता है। आज ही के दिन हमारे पूज्य बापू को हत्यारे गोडसे ने हमसे छीन लिया था। आज राष्ट्रपिता की पुण्यतिथि को हम शहीद दिवस के रूप में मनाकर, उनके अहिंसावादी और राष्ट्रप्रेम के विचारों को याद करते हैं। ‌महात्मा गांधी का पूरा नाम 'मोहनदास करमचंद गांधी' था। लोग उन्हें प्यार से बापू बुलाते थे। गांधी जी की आरंभिक शिक्षा गुजरात में संपन्न हुई। प्रारंभिक शिक्षा राजकोट से पूरा करने के उपरांत गाँधी जी वकालत की पढ़ाई के लिए लंदन चले गए। 1893 से 1914 तक वो दक्षिण अफ़्रीका में रहे जहाँ उन्होंने अपने राजनीतिक विचारों, नैतिकता और राजनीति को विकसित किया। 1915 ...
गाँधी, गोडसे और हत्या: यथार्थ की जद में

गाँधी, गोडसे और हत्या: यथार्थ की जद में

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गांधी की हत्या के सम्बन्ध में नाथूराम गोडसे ने कोर्ट में कई तर्कों के साथ रखा था अपना पक्ष। उन सभी तर्कों का यथार्थ से कितना वास्ता है? सच और झूठ में एक बुनियादी फर्क है। झूठ कल्पनाओं का परिणाम है, इसीलिए वह रोमांचित करता है। सच चूँकि तथ्य होता है इसलिए नीरसता और उब पैदा करता है। झूठ के आकर्षण को देखते हुए वॉट्सएप युग से भी बहुत पहले मार्क ट्वैन (Mark Twain) ने झूठ के तारीफ़ में कहा था, "जब तक सच अपना जूता पहनता है, झूठ पूरी दुनिया की परिक्रमा कर आता है।" झूठ के इस सच्चे तारीफ़ से आप झूठ की हैसियत का अंदाज़ा लगा सकते हैं। लेकिन, झूठ के इस हैसियत को नकारते हुए गांधी ने सत्य को चुना। गांधी का सत्य हमारा सत्य नहीं था। वो नीरस नहीं, सरस था। चलिए एक वाक्या से शुरू करते हैं। उन दिनों गाँधी दूसरे गोलमेज सम्मेलन (2nd Round Table Conference) के लिए लंदन में थे। जब उन्हें किंग जॉर्ज पंचम ...